Wednesday, July 22, 2020

चोका (किसान)

(चोका कविता) जापानी विधा:-
5-7, 5-7, 5-7 -------- +7 वर्ण प्रति पंक्ति

अरे किसान
तू कितना महान
क्या क्या गिनाएँ?
तू है गुणों की खान।
तेरी ये खेती
सुख सुविधा देती
भूख मिटाती
जीवन नौका खेती।
हल न रुके
बाधाओं से न झुके
पसीना बहा
सोते हो पर भूखे।
कर्ज में डूबा
तू रहता प्रसन्न
उपजा अन्न
देश करो संपन्न।
तुझे क्या मिला?
मेहनत का सिला
मौसम बैरी
पर न कोई गिला।
आह तू भरे
आत्महत्या भी करे
पर सब की
भूख भी तू ही हरे।
सत्ता लाचार
निर्मोही सरकार
पर तू निर्विकार।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-06-19


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