Thursday, July 16, 2020

कोड कोड मँ (राजस्थानी गीत)

कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ रोटी पोणो सासुजी।
कोड कोड मँ ही सीख्या चून छाणनो सासुजी।।

दो भोजायाँरी म्हे लाडो नखराली म्हे बाई सा,
न्हेरा म्हारा मा काडै तो चिड़ी चुगावै ताई सा।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ जीमण जिमाणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या थाल सजाणो सासुजी।।

बिरध्यो दर्जी घर मँ बैठै छठ बारा ही म्हारै,
टाँको साँको बो ही जाणै म्हे इकै कोनी सारै।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ टाँको देणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या सुई पिरोणो सासुजी।।

नाल पिरोयोड़ी म्हारै है नौकर, ठाकर, बायाँ री,
धन भंडारा भर्या पङ्या है सगळी माया भायाँ री।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ धोणो माजणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या घर नै सजाणो सासुजी।।

भारी झाड़ो कदै न कियो नहीं लगायो पोंछो,
नाम बड़ो बाबुल रो म्हारो कियाँ करद्यां ओछो।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ घाबा धोणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या घाबा भैणों सासुजी।।

शौकीन सदा का म्हे हाँ जी मेवा मिश्री चुगबा का,
म्हाने तो केवल छाँटी गैणा, गाठी, पोशाकाँ।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ नाज छाँटणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या चुग्गो चुगणो सासुजी।।

लाड प्यार मँ बडी हुयोड़ी सिरकी थोड़ी सुज्योड़ी,
धणी थी म्हारी मर्जी की ठरका सै मँ जियोड़ी।
कोनी सीख्या म्हे पीहर मँ सामी बोलणो सासुजी,
कोड कोड मँ ही सीख्या हँसी घालणो सासुजी।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-07-16

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