Friday, September 25, 2020

पुछल्लेदार मुक्तक "खुदगर्ज़ी नेता"

सत्ता जिनको मिल जाती है मद में वे इतराते हैं,
गिरगिट जैसे रंग बदलकर बेगाने बन जाते हैं,
खुद को देखें या फिर दल को या केवल ही अपनों को,
अनदेखी जनता की कर वे तोड़ें उनके सपनों को।

समझें जनता को वे ना भोली,
झूठे वादों की देवें ना गोली,
ये किसी की न है हमजोली,
'बासु' नेताओं आँखें खोलो,
नब्ज़ जनता की पहले टटोलो।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-04-18


No comments:

Post a Comment