Wednesday, September 9, 2020

मधुमती छंद

मधुवन महके।
शुक पिक चहके।।
जन-मन सरसे।
मधु रस बरसे।।

ब्रज-रज उजली।
कलि कलि मचली।।
गलि गलि सुर है।
गिरधर उर है।।

नयन सजल हैं।
वयन विकल हैं।।
हृदय उमड़ता।
मति मँह जड़ता।।

अति अघकर मैं।
तव पग पर मैं।।
प्रभु पसरत हूँ।
'नमन' करत हूँ।
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लक्षण छंद:-

"ननग" गणन की।
मधुर 'मधुमती'।।

"ननग" :- 111 111 2 (नगण नगण गुरु)
चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
29-08-20

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