बह्र: 122 122 122 12
इरादे इधर हैं उबलते हुए,
उधर सारे दुश्मन दहलते हुए।
नये जोश में हम उछलते हुए,
चलेंगे ज़माना बदलते हुए।
हुआ पांच सदियों का वनवास ख़त्म,
विरोधी दिखे हाथ मलते हुए।
अगर देख सकते जरा देख लो,
हमारे भी अरमाँ मचलते हुए।
रहे जो सिखाते सदाकत हमें,
मिले वो जबाँ से फिसलते हुए।
न इतना झुको देख पाओ नहीं,
रकीबों के पर सब निकलते हुए।
बढेंगे 'नमन' सुन लें गद्दार सब,
तुम्हें पाँव से हम कुचलते हुए।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-08-20
इरादे इधर हैं उबलते हुए,
उधर सारे दुश्मन दहलते हुए।
नये जोश में हम उछलते हुए,
चलेंगे ज़माना बदलते हुए।
हुआ पांच सदियों का वनवास ख़त्म,
विरोधी दिखे हाथ मलते हुए।
अगर देख सकते जरा देख लो,
हमारे भी अरमाँ मचलते हुए।
रहे जो सिखाते सदाकत हमें,
मिले वो जबाँ से फिसलते हुए।
न इतना झुको देख पाओ नहीं,
रकीबों के पर सब निकलते हुए।
बढेंगे 'नमन' सुन लें गद्दार सब,
तुम्हें पाँव से हम कुचलते हुए।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-08-20
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