बह्र:- 2122 2122 2122 2
पर्वों में सब से सुहानी आ गयी होली,
फागुनी रस में नहाई आ गयी होली।
टेसुओं की ले के लाली आ गयी होली,
रंग बिखराती बसंती आ गयी होली।
देखिए अमराइयों में कोयलों के संग,
मंजरी की ओढ़ चुनरी आ गयी होली।
चंग की थापों से गुंजित फाग की धुन में,
होलियारों की ले टोली आ गयी होली।
दूर जो परदेश में हैं उनके भावों में,
याद अपनों की जगाती आ गयी होली।
होलिका के संग सारे हम जला कर भेद,
भंग पी लें देश-हित की आ गयी होली।
एकता के सूत्र में बँध हम 'नमन' झूमें,
प्रीत की अनुभूति देती आ गयी होली।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-3-21
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