बह्र:- 22 22 22 2
झूठे रोज बहाना कर,
क्यों तरसाओ ना ना कर।
फ़िक्र जमाने की छोड़ो,
दिल का कहना माना कर।
मेटो मन से भ्रम सारे,
खुद को तो पहचाना कर।
कब तक जग भरमाओगे,
झूठे जोड़ घटाना कर।
चैन तभी जब सोओगे,
कुछ नेकी सिरहाना कर।
जग में रहना है फिर तो,
इस जग से याराना कर।
दुखियों का दुख दूर 'नमन',
कोशिश कर रोजाना कर।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन',
तिनसुकिया
3-1-19
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