ताँका विधा (हार या जीत)
ताँका विधान - ताँका कविता कुल पाँच पंक्तियों की जापानी विधा की रचना है। इसमें प्रति पंक्ति निश्चित संख्या में वर्ण रहते हैं। प्रति पंक्ति निम्न क्रम में वर्ण रहते हैं।
प्रथम - 5 वर्ण
द्वितीय - 7 वर्ण
तृतीय - 5 वर्ण
चतुर्थ - 7 वर्ण
पंचम - 7 वर्ण
(वर्ण में लघु, दीर्घ और संयुक्ताक्षर सब मान्य हैं।)
हार या जीत
तटस्थ रह मीत
रात से भोर,
नीरवता से शोर
आते जाते, क्यों भीत?
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कुछ तू सुना
कुछ मैं सुनाता हूँ
मन की बात,
दोनों की अनकही
भावनाओं में बही।
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छलनी मन
आँसुओं का भूचाल
पर रूमाल,
अपने की दिलासा
बंधाती नव-आशा।
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हम थे आग
इश्क की शुरुआत
हुई इंतिहा,
खत्म हुये जज्बात
बची केवल राख।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-06-20
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