बह्र:- 2122 2122 2122 212
हर सू बीमारी नहीं तो और क्या है दोस्तो,
ज़िंदगी भारी नहीं तो और क्या है दोस्तो।
रोग से रिश्वत के कोई अब नहीं महफ़ूज़ है,
ये महामारी नहीं तो और क्या है दोस्तो।
सर छुपाने को न छत है, लोग भूखे सो रहे,
मुफ़लिसी ज़ारी नहीं तो और क्या है दोस्तो।
नारियाँ अस्मत को बेचें, भीख बच्चे माँगते,
घोर बेकारी नहीं तो और क्या है दोस्तो।
रहनुमा जिनको बनाया दुह रहे जनता को वे,
उनकी बदकारी नहीं तो और क्या है दोस्तो।
जो गया है बीत उसको भूल हम आगे बढ़ें,
ये समझदारी नहीं तो और क्या है दोस्तो।
जो वतन को भूल दुश्मन से मिलाये सुर 'नमन',
उनकी मक्कारी नहीं तो और क्या है दोस्तो।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
8-9-19
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