Saturday, November 27, 2021

पिरामिड "सेवा"


(1)

हाँ 
सेवा,
कलेवा
युक्त मेवा,
परम तुष्टि
जीवन की पुष्टि
वृष्टि-मय ये सृष्टि।
***

(2)

दो 
सेवा?
प्रथम
दीन-हित
कर्म में रत,
शरीर विक्षत?
सेवा-भाव सतत।
***

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
16-07-19

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