(भ्रमर दोहा छंद के प्रति दोहे में 22 दीर्घ और 4 लघु वर्ण होते हैं।)
बीती जाये जिंदगी, त्यागो ये आराम।
थोड़ी सेवा भी करो, छोड़ो दूजे काम।।
सेवा प्राणी मात्र की, शिक्षा का है सार।
वाणी कर्मों में रखें, सेवा का आचार।।
सच्ची सेवा ही सदा, दे सच्चा उल्लास।
सेवा ही संतुष्टि है, सेवा ही विश्वास।।
लोगों के नेता बने, छोड़ी सारी लाज।
तस्वीरों के सामने, होती सेवा आज।।
काया से जो क्षीण हैं, हो रोगी लाचार।
शुश्रूषा से दो उन्हें, जीने का आधार।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
24-10-19
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