Monday, October 14, 2019

पुछल्लेदार मुक्तक "चारा घोटाला"

बन्द तबेलों में सिसके हैं पड़ी पड़ी भैंसें सारी।
स्वारथ के अन्धों ने उनके पेटों पर लातें मारी।
बेच खा गये चारा उनका घोटाला करके भारी।
ऐसे चोर उचक्कों का क्या करलें भैसें बेचारी।।

चोरों ने किया चारा सारा मीसिंग,
की नोटों पे खूब कीसिंग,
अब जेलों में चक्की पीसिंग,
सुनो रे मेरे सब भाइयों
बासुदेव कवि पोल आज खोलिंग।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
22-04-18

No comments:

Post a Comment