Sunday, May 16, 2021

समान सवैया "मुक्तक"


वही दोहराया भारत ने, सदियों से जो होता आया,
बाहर के लोगों से मिल जब, गद्दारों ने देश लुटाया,
लोक तंत्र का अब तो युग है, सोच समझ पर वही पुरानी,
बंग धरा में अपनों ने ही, अपनों का फिर रक्त बहाया।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10.05.21

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