Sunday, February 21, 2021

राजस्थानी डाँखला (1)

(1)

लिछमी बाईसा री न्यारी नगरी है झाँसी,
गद्दाराँ रै गलै री बणी थी जकी फाँसी।
राणी सा रा ठाठ बाठ,
गाताँ थकै नहीं भाट।
सुण सुण फिरंग्याँ के चाल जाती खाँसी।।
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(2)

बाकी सब गढणियाँ गढ तो चित्तौडगढ़,
उपज्या था वीर अठै एक से ही एक बढ।
कुंभा री हो ललकार,
साँगा री या तलवार,
देशवासी बणो बिस्या गाथा वाँ री पढ पढ।।
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(3)

राजनीति माँय बड़ग्या सगला उचक्का चोर,
श्राधां आला कागला सा उतपाती घनघोर।
पड़ जावै जठै पाँव,
मचा देवे काँव काँव।
चाटग्या ये देश सारो निकमा मुफतखोर।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
08-09-20

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