Wednesday, March 4, 2020

ग़ज़ल (बुरा न मानो होली है)

बह्र: 1212 1212, 1212 1212

ये नीति धार के रहो, बुरा न मानो होली है,
कठोर घूँट पी हँसो, बुरा न मानो होली है।

मिटा के भेदभाव सब, सभी से ताल को मिला,
थिरक थिरक के नाच लो, बुरा न मानो होली है।

मुसीबतों की आँधियाँ, झझोड़ के तुम्हें रखे,
पहाड़ से अडिग बनो, बुरा न मानो होली है।

विचार जातपांत का, रिवाज और धर्म का,
मिटा के जड़ से तुम कहो, बुरा न मानो होली है।

परंपरा सनातनी, हमारे दिल में ये बसी,
कोई मले गुलाल तो, बुरा न मानो होली है।

बुराइयाँ समेट सब, अनल में होली की जला,
गले लगा भलाई को, बुरा न मानो होली है।

ये पर्व फाग का अजब, मनाओ मस्त हो इसे,
कहे 'नमन' सभी सुनो, बुरा न मानो होली है।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
28 - 02 - 2020

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