(करवाचौथ)
त्योहार करवाचौथ का नारी का है प्यारा बड़ा,
इक चाँद दूजे चाँद को है देखने छत पे खड़ा,
लम्बी उमर इक चाँद माँगे वास्ते उस चाँद के,
जो चाँद उसकी जिंदगी के आसमाँ में है जड़ा।
(2212*4)
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(होली)
हर तरु में छाया बसन्त ज्यों, जीवन में नित रहे बहार,
होली के रंगों की जैसे, वैभव की बरसे बौछार,
ऊँच नीच के भेद भुला कर, सबको गले लगाएँ आप,
हर सुख देवे सदा आपको, होली का पावन त्योहार।
(आल्हा छंद आधारित)
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लगा है जब से ये फागुन चली धमार की बात,
दिलों में छाई है होली ओ रंग-धार की बात।
जिधर भी देखिए छाई छटा बसन्त की अब,
हर_इक नज़ारा फ़ज़ा का करे बहार की बात।
(1212 1122 1212 22)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-10-2019
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