पद्म, शंख, लक्ष्मी सभी, प्रभु को प्रिय जलजात।
भज नर इनके नाथ को, सकल पाप जल जात।
लोभ, स्वार्थ घिर पर मनुज, कृत्य करे अति घोर।
लख उसके इन कर्म को, हरि भी आज लजात।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-06-19
लोभ, स्वार्थ घिर पर मनुज, कृत्य करे अति घोर।
लख उसके इन कर्म को, हरि भी आज लजात।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-06-19
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