(फारूक अब्दुल्ला के जिन्ना-प्रेम पर व्यंग)
भारत का अबदुल्ला, जिन्ना पे पराये आज,
हुआ है दिवाना कैसा, ध्यान आप दीजिए।
खून का असर है या, गहरी सियासी चाल,
देशवासी हलके में, इसे नहीं लीजिए।
लगता है जिन्ना का ही, जिन्न इसमें है घुसा,
इसका उपाय अब, सब मिल कीजिए।
जिन्ना वहाँ परेशान, ये भी यहाँ बिना चैन,
दोनों की मिलाने जोड़ी, इसे वहाँ भेजिए।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
04-03-18
भारत का अबदुल्ला, जिन्ना पे पराये आज,
हुआ है दिवाना कैसा, ध्यान आप दीजिए।
खून का असर है या, गहरी सियासी चाल,
देशवासी हलके में, इसे नहीं लीजिए।
लगता है जिन्ना का ही, जिन्न इसमें है घुसा,
इसका उपाय अब, सब मिल कीजिए।
जिन्ना वहाँ परेशान, ये भी यहाँ बिना चैन,
दोनों की मिलाने जोड़ी, इसे वहाँ भेजिए।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
04-03-18
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