Saturday, July 29, 2023

मुक्तक (बढ़ती आबादी)

बढ़ती जाये ज्यों आबादी, घटते कारोबार हैं,
तुष्टिकरण के आज सामने, सरकारें लाचार हैं,
पास नहीं इक रोजगार है, बच्चों की पर फौज सी,
आज़ादी के सात दशक यूँ, कर दीन्हे बेकार हैं।

खुद की देन आपकी बच्चे, मिलते ये न प्रसाद में,
घर में पहले रोजगार हो, बच्चे फिर हों बाद में,
बात न ये तबके तबके की, सारे जिम्मेदार हैं,
तय कर दे कानून देश का, बच्चे किस तादाद में।  

(प्रदीप छंद आधारित)                    

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-11-2016

Friday, July 21, 2023

हाइकु (संस्कृति)

हाइकु विधा:- 5 - 7 - 5 वर्ण प्रति पंक्ति।

राम किसमें
तर्क, इतिहास में?
आस, श्वांस में।
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राम बसे हैं
अपने ही अंदर
ढूंढें बाहर?
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जो सनातन
सत्य, स्थिर, चेतन
वो भगवन।
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तत्व दर्शन
जो होता लघुतम
वो ही सर्वोच्च।
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चेहरा लख
इंसान की कीमत
होती परख।
**

गुरु की वाणी
बन्द द्वार की चाबी
झट से खोले।
**

माला राम की
जपें सब नाम की
भारी काम की।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-08-16

Friday, July 14, 2023

छंदा सागर (भगणादि छंदाएँ)

                      पाठ - 14

छंदा सागर ग्रन्थ

"भगणादि छंदाएँ"

इस पाठ में हम उन छंदाओं का अध्ययन करेंगे जिनके प्रारंभ में भगण रहता है। इन छंदाओं का इसलिये भगणादि नाम दिया गया है क्योंकि छंदा के आदि में भगण है। इन छंदाओं में प्रयुक्त होनेवाले भगण गुच्छक निम्न हैं।
211 = भगण 
2112 = ईभग
21121 = ईंभागल
21122 = एभागग
211221 = ऐंभागिल

भगणादि गुरु-लूकी छंदाएँ:- इन छंदाओं में गुरु वर्ण के मध्य ऊलल वर्ण (11) रहते हैं। वाचिक स्वरूप में ये दोनों लघु स्वतंत्र लघु होते हैं। मात्रिक और वर्णिक में लघु वर्ण सामान्य लघु ही रहते हैं।
****

21122 2 = भेगा, भेगण, भेगव
21122 21 = भेगू, भेगुण, भेगुव
21122 22 = भेगी, भेगिण, भेगिव
21122 22 +1 = भेगिल, भेगीलण, भेगीलव

21122 22 21122 2 = भेगीभेगा, भेगीभेगण, भेगीभेगव
21122 22 21122 22 = भेगीधू, भेगीधुण, भेगीधुव
21122 22, 21122 22 = भेगिध, भेगीधण, भेगीधव
21122 22, 21122 22 +1 = भेगीधल, भेगिधलण, भेगिधलव

21122 222 = भेमा, भेमण, भेमव
21122 2221 = भेमल, भेमालण, भेमालव
21122 2222 = भेमी, भेमिण, भेमिव
21122 22221 = भेमिल, भेमीलण, भेमीलव
****

211*2 2 = भादग, भदगण, भदगव
211*2 21 = भदगू, भदगुण, भदगुव
211*2 2 211*2 2 = भदगध, भादगधण, भादगधव
211*2 21, 211*2 21 = भदगुध, भदगूधण, भदगूधव
211*2 22 = भदगी, भदगिण, भदगिव (चित्रपदा छंद)
211*2 22 211*2 22 = भदगीधू, भदगीधुण, भदगीधुव
211*2 222 = भादम, भदमण, भदमव
211*2 2221 = भदमल, भादमलण, भादमलव
211*2 2222 = भदमी, भदमिण, भदमिव
211*2 22221 = भदमिल, भदमीलण, भदमीलव
**

2112*2 2 = भीदग, भिदगण, भिदगव
2112*2 21 = भिदगू, भिदगुण, भिदगुव
2112*2 2, 2112*2 2  = भिदगध, भीदगधण, भीदगधव
2112*2 21, 2112*2 21  = भिदगुध, भिदगूधण, भिदगूधव

2112*2 22 = भिदगी, भिदगिण, भिदगिव
2112*2 22 +1 = भिदगिल, भिदगीलण, भिदगीलव
2112*2 222 = भीदम, भिदमण, भिदमव
2112*2 2221 = भिदमल, भीदमलण, भीदमलव
**

21122 2112 = भेभी, भेभिण, भेभिव (मणिमध्य छंद)
21122 21121 = भेभिल, भेभीलण, भेभीलव

21122*2 2 = भेदग, भेदागण, भेदागव
21122*2 21 = भेदागू, भेदागुण, भेदागुव
21122*2 22 = भेदागी, भेदागिण, भेदागिव
21122*2 22 +1 = भेदागिल, भेदागीलण, भेदागीलव
**

21122 22 2112 = भेगीभी, भेगीभिण, भेगीभिव
21122 22 21122 = भेगीभे, भेगीभेण, भेगीभेव
****

211*3 2= भाबग, भबगण, भबगव (सारवती छंद)
211*3 21 = भबगू, भबगुण, भबगुव
211*3 22 = भबगी, भबगिण, भबगिव (दोधक छंद)
211*3 222 = भाबम, भबमण, भबमव
211*3 2221 = भबमल, भाबमलण, भाबमलव
**

211 2112*2 = भाभिद, भभिदण, भभिदव
211 2112*2 +1 = भभिदल, भाभिदलण, भाभिदलव
211*2 22 2112 = भदगीभी, भदगीभिण, भदगीभिव
211*2 22 21121 = भदगीभिल, भदगीभीलण, भदगीभीलव
211 21122*2 = भाभेदा, भाभेदण, भाभेदव
211 21122*2 +1 = भाभेदल, भाभेदालण, भाभेदालव
****

2112 211*2 2 = भिभदग, भीभदगण, भीभदगव
2112*3 2 = भीबग, भिबगण, भिबगव
2112*3 21 = भिबगू, भिबगुण, भिबगुव
2112*3 22 = भिबगी, भिबगिण, भिबगिव
2112*3 22 +1 = भिबगिल, भिबगीलण, भिबगीलव
2112 21122*2  = भीभेदा, भीभेदण, भीभेदव
****

21122 211*2 2 = भेभादग, भेभदगण, भेभदगव
21122 211*2 21 = भेभदगू, भेभदगुण, भेभदगुव
21122 211*2 22 = भेभदगी, भेभदगिण, भेभदगिव
21122 2112*2 = भेभिद, भेभीदण, भेभिदगव
21122 2112*2 2 = भेभीदग, भेभिदगण, भेभिदगव
**

21122*2 2112= भेदाभी, भेदाभिण, भेदाभिव
21122*2 21121 = भेदाभिल, भेदाभीलण, भेदाभीलव
**

21122*3 2 = भेबग, भेबागण, भेबागव
21122*3 21 = भेबागू, भेबागुण, भेबागुव
21122*3 22= भेबागी, भेबागिण, भेबागिव
21122*3 22 +1 = भेबागिल, भेबागीलण, भेबागीलव
21122*2, 21122 222= भेदंभेमा, भेदंभेमण, भेदंभेमव
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****

भगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल भगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं। अब आगे केवल वाचिक और मात्रिक छंदाएँ ही दी जायेंगी। इन्हें बनाने के लिये आधार गुच्छक के रूप में इस पाठ के प्रारंभ में बताये गये 5 गुच्छक में से कोई भी लिया जा सकता है।

"भ = (211 आधार गुच्छक)":-

211 21121 2 = भाभींगा, भाभींगण
211 21121 22 = भाभींगी, भाभींगिण
211 211221 2 = भाभैंगा, भाभैंगण
211 211221 22 = भाभैंगी, भाभैंगिण
(इन्हें त्रिगुच्छकी छंदा का रूप देने के लिये आधार भगण को आवृत्त किया जायेगा। इससे भदभींगा, भदभैंगी आदि छंदाएँ बनेंगी।)

211*2 +21 2112 = भदगूभी, भदगूभिण
211*2 +21 21122 = भदगूभे, भदगूभेण
211*3 +21 2112 = भबगूभी, भबगूभिण

211 21121*2 2 = भाभींदग, भाभींदागण
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"भी = (2112 आधार गुच्छक)":-

2112*2 +12 = भिदली, भीदलिण
2112*3 +12 = भिबली, भीबलिण
2112*2 +12, 2112*2 +12 = भिदलिध, भीदलीधण

2112 211221 +2 = भीभैंगा, भीभैंगण
2112 211221 +22 = भीभैंगी, भीभैंगिण
2112*2 211221 +2 = भिदभैंगा, भिदभैंगण

2112*2 +1 2112 = भीदलभी, भीदलभिण
2112*2 +1 21122 = भीदलभे, भीदलभेण
2112*2 +21 2112 = भिदगूभी, भिदगूभिण

2112 21121*2 2 = भीभींदग, भीभींदागण
****

"भीं = (21121 आधार गुच्छक)":-

21121 2 = भींगा, भींगण
21121 22 = भींगी, भींगिण
21121 22 21121 2 = भींगीभींगा, भींगीभींगण
21121 22, 21121 22 = भींगिध, भींगीधण

21121*2 2 = भींदग, भींदागण
21121*2 12 = भींदाली, भींदालिण
21121*2 22 = भींदागी, भींदागिण
21121*3 2 = भींबग, भींबागण

21121 2112 = भींभी, भींभिण
21121*2 2112 = भींदाभी, भींदाभिण
21121*3 2112 = भींबाभी, भींबाभिण
21121 2112, 21121 2112 = भींभिध, भींभीधण
21121 2 2112 = भींगाभी, भींगाभिण
21121 21 2112 = भींगूभी, भींगूभिण
21121 22 2112 = भींगीभी, भींगीभिण
21121 221 2112 = भिलगींभी, भिलगींभिण
(इन छंदाओं के अंत में भी के स्थान पर भे का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- भींभेधा)

21121 2112*2 = भींभिद, भींभीदण
21121 2112*2 2 = भींभीदग, भींभिदगण
21121 2112, 21121 2112 +2 = भींभीधग, भींभिधगण
****

"भे = (21122 आधार गुच्छक)":-

21122*2 12 = भेदाली, भेदालिण
21122*3 12 = भेबाली, भेबालिण

21122 21 2112 = भेगूभी, भेगूभिण
21122 21 21122 = भेगूभे, भेगूभेण
****

"भैं = (211221 आधार गुच्छक)":-

211221 2 = भैंगा, भैंगण
211221 22 = भैंगी, भैंगिण
211221 22, 211221 22 = भैंगिध, भैंगीधण

211221*2 2 = भैंदग, भैंदागण
211221*2 12 = भैंदाली, भैंदालिण
211221*2 22 = भैंदागी, भैंदागिण
(ये तीन की आवृत्ति में भी बनेंगी)

211221 2112 = भैंभी, भैंभिण
211221*2 2112 = भैंदाभी, भैंदाभिण
211221 2112, 211221 2112 = भैंभिध, भैंभीधण
211221 2 2112 = भैंगाभी, भैंगाभिण
211221 21 2112 = भैंगूभी, भैंगूभिण
211221 22 2112 = भैंगीभी, भैंगीभिण
211221 121 2112 = भेललींभी, भेललींभिण
211221 221 2112 = भेलगींभी, भेलगींभिण
(इन छंदाओं के अंत में भ के स्थान पर भे का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- भैंभे, भैंगूभे)

211221 2112*2 = भैंभिद, भैंभीदण
211221 2112*2 2 = भैंभीदग, भैंभिदगण
211221 2112, 211221 2112 +2 = भैंभीधग, भैंभिधगण
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भगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:-

भामक छंदाएँ:- इन छंदाओं में भगण और मगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। यहाँ लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही जो सभी में बन सकती हैं।

21121 222 = भींमा, भींमण
21121 222, 21121 222 = भींमध, भींमाधण
21121 222 2112 = भींमाभी, भींमाभिण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में भैं (211221) आ सकता है। म के स्थान पर मी या मू आ सकता है। अंत के भी के स्थान पर भे आ सकता है। जैसे- भींमी, भैंमूभी)

211*2 +21 222 = भदगुम, भदगूमण भदगूमव (रोचक छंद)
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भातक छंदाएँ:- इन छंदाओं में भगण और तगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

21121 2212 = भींती, भींतिण
21121 2212, 21121 2212 = भींतिध, भींतीधण
21121 221 2112 = भींताभी, भींताभिण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में भे (21122) या भैं (211221) आ सकता है। ती के स्थान पर ते आ सकता है। अंत के भी के स्थान पर भे आ सकता है। जैसे- भेते, भैंतीभी)
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भारक छंदाएँ:- इन छंदाओं में भगण और रगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

21121 212 = भींरा, भींरण
21121 212, 21121 212 =भींरध, भींराधण
21121 212 2112 = भींराभी, भींराभिण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में भे (21122) या भैं (211221) आ सकता है। र के स्थान पर री या रू आ सकता है। अंत के भी के स्थान पर भे आ सकता है। जैसे- भेरू, भैंरीभी)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया

Sunday, July 9, 2023

नित छंद "ज्ञानवापी"

ज्ञानवापी सच यही।
ये न मस्जिद थी रही।।
महादेव बसे जहाँ।
क्यों न फिर मंदिर वहाँ।।

आततायी क्रूर वे।
राज्य मद में चूर वे।।
मुगल शासक जब हुये।
नष्ट मंदिर तब हुये।।

काशी की यही कथा।
नन्दीनाथ की व्यथा।।
दहकाती ज्वाल लगे।
मन में आक्रोश जगे।।

फव्वारा कहें जिसे।
शंभु हम मानें इसे।।
लिंग का प्राकट्य है।
विश्व सम्मुख तथ्य है।।

भग्न मूर्ति मिलीं वहाँ।
कमल, स्वस्तिक भी यहाँ।।
चिन्ह जो सब प्राप्त ये।
क्या नहीं पर्याप्त ये।।

तथ्य सारे जाँचिए।
न्याय हमको दीजिए।।
भव्य मंदिर अब बने।
'नमन' जन जन में ठने।।
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नित छंद विधान -

नित छंद 12 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। यह आदित्य जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 12 मात्राओं की मात्रा बाँट - 9 + 1 2 है।
नवकल की निम्न संभावनाएँ हैं -
12222 (2222 को अठकल मान सकते हैं।)
21222 (222 को छक्कल मान सकते हैं।)
22122
22212 (222 को छक्कल मान सकते हैं।)
22221 (2222 को अठकल मान सकते हैं।)
(इन सब में 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है।)

अंत के लघु गुरु (12) को नगण (111) के रूप में भी लिया जा सकता है।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
29-05-22

Sunday, July 2, 2023

सेदोका (प्रीत)

(5 7 7 5 7 7 वर्ण प्रति पंक्ति।)

सेदोका कविता - 1

चन्द्र चकोरी
तेरे नेह की रश्मि
जब भी आ के गिरी
मन में उठा
उतङ्ग ज्वार भाटा
तुम्हारी और खिंचा।
*****

सेदोका कविता - 2

प्रीत का चाँद
आकर्षित करता
मन का ज्वार-भाटा,
प्रेम-सागर
मिलने को आतुर
चन्द्र-प्रिया चातुर।
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-02-19

Thursday, June 29, 2023

छंदा सागर (यगणादि छंदाएँ)

                        पाठ - 13

छंदा सागर ग्रन्थ

"यगणादि छंदाएँ"

इस पाठ में हम उन छंदाओं का अध्ययन करेंगे जिनके प्रारंभ में यगण रहता है। इन छंदाओं का इसलिये यगणदि नाम दिया गया है क्योंकि छंदा के आदि में यगण गुच्छक रहते हैं। यगण गुच्छक निम्न हैं।
122 = यगण
1221 = अंयल
1222 = ईयग
12221 = ईंयागल
12212 = ऊयालग
122121 = ऊंयालिल
12222 = एयागग
122221 = ऐंयागिल
12211 = ओयालल
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यगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल यगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं। अब आगे केवल वाचिक और मात्रिक छंदाएँ ही दी जायेंगी। इन्हें बनाने के लिये आधार गुच्छक के रूप में इस पाठ के प्रारंभ में बताये गये 9 गुच्छक में से कोई भी लिया जा सकता है।

"य = (122 आधार गुच्छक)":-

122 22 = यागी, यागिण
1222 22 = यीगी, यीगिण

(यदि आधार गुच्छक गुर्वंत हो तो यह छूट है। इन छंदाओं में 22 को 112 करने की छूट है। अन्यथा  गुच्छक की जहाँ तक बनने की संभावना है वह पूर्ण होने पर ही स्वतंत्र वर्ण संयोजन होता है।)

122*2 2 = यादग, यदगण
122*2 12 = यदली, यदलिण
122*2 22 = यदगी, यदगिण
(ये सभी छंदाएँ तीन और चार की आवृत्ति में भी बनेंगी। जैसे - यबगी, याचग आदि।)
122*3 12 = यबली, यबलिण (शक्ति छंद), यबलिव (भुजंगी छंद)
122*2 22 122*2 2 = यदगीयादग, यदगीयदगण
122*2 22, 122*2 22 = यदगिध, यदगीधण

122 1222 22 = यायीगी, यायीगिण
122 12221 2 = यायींगा, यायींगण
122 12221 12 = यायींली, यायींलिण
122 122121 2 = यायूंगा, यायूंगण
122 122121 12 = यायूंली, यायूंलिण
122 12222 2 = यायेगा, यायेगण
122 12222 22 = यायेगी, यायेगिण
122 122221 2 = यायैंगा, यायैंगण
122 122221 12 = यायैंली, यायैंलिण
122 12211 2 = यायोगा, यायोगण
(इन्हें त्रिगुच्छकी छंदा का रूप देने के लिये आधार यगण को आवृत्त किया जायेगा। इससे यदयीगी, यदयैंली, यदयोगा आदि छंदाएँ बनेंगी।)

122*2 +1 (यदलय, यादलयी, यादलयू, यादलये)
122*2 +2 (यदगय, यायिद, यादगयू, यादगये)
122*2 +21 (यदगुय, यदगूयी, यदगूयू, यदगूये)
122*2 +12 (यदलिय, यदलीयी, यायुद, यदलीये)
122*2 +22 (यदगिय, यदगीयी, यदगीयू, यदगीये)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 122, 1222, 12212, 12222 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
****

"यं = (1221 आधार गुच्छक )":-

1221*2 2 = यंदग, यंदागण
1221*3 2 = यंबग, यंबागण
1221*4 2 = यंचग, यंचागण
(इन छंदाओं में अंत में ग के स्थान पर ली भी संयोजित हो सकता है। जैसे - यंदाली।)
1221*2 2, 1221*2 2 = यंदागध, यंदगधण

1221 122 = यंया, यंयण
1221*2 122 = यंदय, यंदायण
1221*2 +2 122 = यंदागय, यंदगयण
1221*2 +21 122 = यंदागुय, यंदागूयण
1221*3 122 = यंबय, यंबायण
(इन छंदाओं के अंत में य के स्थान पर यी, यू, ये या यागी का प्रयोग भी किया जा सकता है।)
1221 122 1221 122 = यंयाधू, यंयाधुण
1221 122 22, 1221 122 22 = यंयागिध, यंयागीधण

1221 122121 2 = यलयूंगा, यलयूंगण
1221 122121 12 = यलयूंली, यलयूंलिण

1221 122*2 = यंयद, यंयादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- यंयदली)
1221 1222 122 = यंयीया, यंयीयण
1221 1222*2 = यंयिद, यंयीदण
1221 12212 122 = यंयूया, यंयूयण
1221 12222 122 = यंयेया, यंयेयण
****

"यी = (1222 आधार गुच्छक)":-

1222 22 = यीगी, यीगिण
1222 22 1222 22 = यीगिध, यीगीधण

1222*2 2 = यीदग, यिदगण
1222*2 12 = यिदली, यिदलिण
1222*2 22 = यिदगी, यिदगिण
1222*3 2 = यीबग, यिबगण
1222*3 12 = यिबली, यिबलिण
1222*3 22 = यिबगी, यिबगिण
1222*2 2, 1222*2 2 = यिदगध, यीदगधण

1222 122 = यीया, यीयण
1222*2 122 = यीदय, यिदयण
1222*2 1221 = यिदयल, यीदयलण, यीदयलव (शास्त्र छंद)
1222*3 122 = यीबय, यिबयण
1222 122, 1222 122 = यीयध, यियधण
(इन छंदाओं के अंत में य के स्थान पर यू या यागी का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे- यिदयागी)
1222 12221 12 = यीयींली, यीयींलिण
1222 12222 22 = यीयेगी, यीयेगिण
1222 122221 2 = यीयैंगा, यीयैंगण
1222 122221 12 = यीयैंली, यीयैंलिण

1222 122*2 = यीयद, यियदण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- यीयदगी)
1222 1221 122 = यीयंया, यीयंयण
1222 12212 122 = यीयुय, यीयूयण

1222*2 +1 = यिदलय, यीदलयी, यीदलयू, यीदलये
1222*2 +2 = यिदगय, यीदगयी, यीदगयू, यीयेदा
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 122, 1222, 12212, 12222 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
****

"यीं = (12221 आधार गुच्छक)":-

12221 2 = यींगा, यींगण
12221 12 = यींली, यींलिण

12221 12, 12221 12 = यींलिध, यींलीधण
12221 12 12221 2 = यींलीयींगा, यींलीयींगण

12221*2 2 = यींदग, यींदागण
12221*2 12 = यींदाली, यींदालिण

12221 122 = यींया, यींयण
12221*2 122 = यींदय, यींदायण
12221*3 122 = यींबय, यींबायण
12221 122, 12221 122 = यींयध, यींयाधण
12221 2 122 = यींगय, यींगायण
12221 21 122 = यींगुय, यींगूयण
12221 12 122 = यींलिय, यींलीयण
12221 121 122 = यिललींया, यिललींयण
(इन छंदाओं के अंत में य के स्थान पर यी, यू, ये या यागी का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- 
12221 122 22 = यींयागी, यींयागिण)

12221 122*2 = यींयद, यींयादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- यींयादग)
12221 1222 122 = यींयिय, यींयीयण
12221 1222*2 = यींयिद, यींयीदण

12221 122, 12221 122 +22 = यींयधगी, यींयधगिण
****

"यू = (12212 आधार गुच्छक)":- 

12212*2 12 = युदली, युदलिण

12212 122 = यूया, यूयण
12212*2 122 = यूदय, युदयण
12212*3 122 = यूबय, युबयण
12212 122, 12212 122 = यूयध, युयधण
(इन छंदाओं के अंत में य के स्थान पर यी, ये अथवा यागी का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- यूयागी)

12212 122*2 = यूयद, युयदण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- यूयदली)
12212 1222 122 = यूयिय, यूयीयण
12212 1222*2 = यूयिद, यूयीदण

12212 122, 12212 122 +2 = युयधग, यूयधगण
****

"यूं = (122121 आधार गुच्छक)":-

122121 2 = यूंगा, यूंगण
122121 12 = यूंली, यूंलिण
122121 12, 122121 12 = यूंलिध, यूंलीधण

122121*2 2 = यूंदग, यूंदागण
122121*2 12 = यूंदाली, यूंदालिण

122121 122 = यूंया, यूंयण
122121*2 122 = यूंदय, यूंदायण
122121 122, 122121 122 = यूंयध, यूंयाधण
122121 2 122 = यूंगय, यूंगायण
122121 12 122 = यूंलीया, यूंलीयण
(इन छंदाओं के अंत में य के स्थान पर यी, यू, ये या यागी का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- यूंयागी)

122121 122*2 = यूंयद, यूंयादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- यूंयदली)
122121 1222 122 = यूंयीया, यूंयीयण
122121 12212 122 = यूंयूया, यूंयूयण
122121 1222*2 = यूंयिद, यूंयीदण

122121 122, 122121 122 +12 = यूंयधली, यूंयधलिण
****

"ये = (12222 आधार गुच्छक)":-

12222 2 = येगा, येगण
12222 22 = येगी, येगिण
12222 22, 12222 22 = येगिध, येगीधण

12222*2 2 = येदग, येदागण
12222*2 12 = येदाली, येदालिण
12222*2 22 = येदागी, येदागिण

12222 122 = येया, येयण
12222*2 122 = येदय, येदायण
12222 122, 12222 122 = येयध, येयाधण
12222 2 122 = येगय, येगायण
12222 22 122 = येगिय, येगीयण
(इन छंदाओं के अंत में य के स्थान पर यी, यू, ये या यागी का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- येयागी, येगीयू)

12222 122*2 = येयद, येयादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- येयदली)
12222 1222 122 = येयीया, येयीयण
12222 1222*2 = येयिद, येयीदण

12222 122, 12222 122 +2 = येयाधग, येयधगण
****

"यैं = (122221 आधार गुच्छक)":-

122221 2 = यैंगा, यैंगण
122221 12 = यैंली, यैंलिण
122221 2, 122221 2 = यैंगध, यैंगाधण

122221*2 2 = यैंदग, यैंदागण
122221*2 12 = यैंदाली, यैंदालिण

122221 122 = यैंया, यैंयण
122221*2 122 = यैंदय, यैंदायण
122221 122, 122221 122 = यैंयध, यैंयाधण
122221 2 122 = यैंगय, यैंगायण
122221 12 122 = यैंलिय, यैंलीयण
(इन छंदाओं के अंत में य के स्थान पर यी, यू, ये या यागी का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- यैंयागी, यैंलीयी)

122221 122*2 = यैंयद, यैंयादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- यैंयादग)
122221 1222 122 = यैंयीया, यैंयीयण
122221 1222*2 = यैंयिद, यैंयीदण

122221 122, 122221 122 +22 = यैंयधगी, यैंयधगिण
****

"यो = (12211 आधार गुच्छक)":-

12211 2 = योगा, योगण
12211 2, 12211 2 = योगध, योगाधण

12211 2 122 = योगय, योगायण
12211 21 122 = योगुय, योगूयण
12211 2 122, 12211 2 122 = योगायध, योगयधण
(इन छंदाओं के अंत में य के स्थान पर यी, यू, ये या यागी का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- योगयगी, योगूयी)
****
****

यगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:-

यामक छंदाएँ:- इन छंदाओं में यगण और मगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। 'म' से आरंभ होनेवाले किसी भी गुच्छक तथा 'ग' से आरंभ होनेवाले किसी भी वर्ण के गुरु को ऊलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है यदि उसके दोनों तरफ गुरु वर्ण रहे। यहाँ लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही जो सभी में बन सकती हैं।

12222 222 = येमा, येमण
12222 222 122 = येमय, येमायण

(इन छंदाओं में म के स्थान पर मी या मू आ सकता है। अंत के य के स्थान पर भी यी, यू या यागी आ सकता है। जैसे- येमूयी)
****

यातक छंदाएँ:- इन छंदाओं में यगण और तगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

12222 2212 = येती, येतिण
12222 2212 122 = येतिय, येतीयण

(इन छंदाओं में ती के स्थान पर तू आ सकता है। अंत के य के स्थान पर भी यी, यू या यागी आ सकता है। जैसे- येतुयगी)
****

यारक छंदाएँ:- इन छंदाओं में यगण और रगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

12221 212 = यींरा, यींरण
12221 212, 12221 212 = यींरध, यींराधण
12221 212 122 = यींरय, यींरायण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में यूं (122121), ये (12222), यैं (122221) अथवा यो (12211) आ सकता है। र के स्थान पर रू आ सकता है। अंत के य के स्थान पर यी, यू अथवा यागी आ सकता है। जैसे- यूंरायी, योरुय)
****

याभक छंदाएँ:- इन छंदाओं में यगण और भगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

12221 2112 = यींभी, यींभिण
12221 2112, 12221 2112 = यींभिध, यींभीधण
12221 2112 122 = यींभिय, यींभीयण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में यूं (122121), ये (12222), यैं (122221) अथवा यो (12211) आ सकता है। अंत के य के स्थान पर यी, यू अथवा यागी आ सकता है। जैसे- येभियगी, योभिय)
****

याजक छंदाएँ:- इन छंदाओं में यगण और जगण गुच्छक का प्रयोग होता है।

12221 1212 = यींंजी, यींजिण
12221 1212, 12221 1212 = यींजिध, यींजीधण

(ये छंदा यूं और यैं आधार गणक लेके भी बनायी जा सकती हैं। जी के स्थान पर जू का भी प्रयोग हो सकता है। जैसे- यूंजू)
****
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
10-12-19

Saturday, June 24, 2023

हाइकु (पुस्तक)

आजीवन दे
पुस्तक सहचरी
आपका साथ।
**

जोड़ो जो प्रीत
पुस्तक सा न मीत
दिल ले जीत।
**

हृदय द्वार
खोले झट पुस्तक
करे उद्धार।
**

जो करे प्यार
पुस्तक से अपार
होती न हार।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-07-16

Saturday, June 17, 2023

राधेश्यामी छंद "नसबन्दी बनाम नोटबन्दी"

राधेश्यामी छंद / मत्त सवैया

आपातकाल पचहत्तर का, जिसकी यादें मन में ताजा।
तब नसबन्दी ने लोगों का, था खूब बजाया जम बाजा,
कोई भी बचे नहीं इससे, वे विधुर, वृद्ध, या फिर बच्चे।
सब ली चपेट में नसबन्दी, किन्नर तक भी झूठे सच्चे।

है ज़रा न बदला अब भी कुछ, सरकार नई पर सोच वही,
छाया आर्थिक आपातकाल, जनता जिस में छटपटा रही।
आपातकाल ये कुछ ऐसा, जो घोषित नहीं अघोषित है,
कुछ ही काले धन वालों से, जनता अब सारी शोषित है।

तब कहर मचाई नसबन्दी, थी त्राहि त्राहि हर ओर मची,
अब नोटों की बन्दी कर के, मोदी ने वैसी व्यथा रची।
तब जोर जबरदस्ती की उस, बन्दी का दुख सबने झेला,
अब आकस्मिक इस बन्दी में, लोगों का बैंकों में रेला।

भारत की सरकारों का तो, बन्दी से है गहरा नाता,
लेकिन बेबस जनता को यह, थोड़ा भी रास नहीं आता।
नस की हो, नोटों की हो या, बन्दी चाहे हो भारत की,
जनता को सब में पिसना है, कोई न सुने कुछ आरत की।

तर्कों में, वाद विवादों में, संकट का हल है कभी नहीं,
सरकारी लचर व्यवस्था का, रहता हरदम परिणाम वहीं।
तब भी न ज़रा तैयारी थी, वह अब भी साफ़ अधूरी है,  
सरकार स्वप्न सुंदर दिखला, जनता से रखती दूरी है।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
14-11-16

Monday, June 12, 2023

सायली (आसुरी कोरोना)

आसुरी
कोरोना मगरूरी
कायम रखें दूरी
मास्क जरूरी
मजबूरी
*****

अतिक्रमण
चीनी आक्रमण
फैला कोरोना संक्रमण
अवरुद्ध परिभ्रमण
गृह-रमण
*****

महाकाल
कोरोना विकराल
देश  पर  भूचाल
सरकारी अस्पताल
बदहाल
*****

चमगादड़ी
कोरोना जकड़ी
संकट की घड़ी
आफत बड़ी
पड़ी
*****

1-2-3-2-1 शब्द
*****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-07-20

Wednesday, June 7, 2023

छंदा सागर (रगणादि छंदाएँ)

                      पाठ - 12

छंदा सागर ग्रन्थ


"रगणादि छंदाएँ"


इस पाठ में हम उन छंदाओं का अध्ययन करेंगे जिनके प्रारंभ में रगण रहता है। इन छंदाओं का इसलिये रगणादि नाम दिया गया है क्योंकि छंदा के आदि में रगण गुच्छक रहते हैं। रगण गुच्छक निम्न हैं।
212 = रगण 
2121 = अंरल
2122 = ईरग
21221 = ईंरागल
21212 = ऊरालग
212121 = ऊंरालिल
21222 = एरागग
212221 = ऐंरागिल
21211 = ओरालल
****

रगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल रगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं। अब आगे केवल वाचिक और मात्रिक छंदाएँ ही दी जायेंगी। इन्हें बनाने के लिये आधार गुच्छक के रूप में इस पाठ के प्रारंभ में बताये गये 9 गुच्छक में से कोई भी लिया जा सकता है।

"र = (212 आधार गुच्छक)":-

212 22 = रागी, रागिण
212 22 212 22 = रगिधू, रागीधुण
(यदि आधार गुच्छक गुर्वंत हो तो यह छूट है। इन छंदाओं में 22 को 112 करने की छूट है। अन्यथा  गुच्छक की जहाँ तक बनने की संभावना है वह पूर्ण होने पर ही स्वतंत्र वर्ण संयोजन होता है।)

212*2 2 = रादग, रदगण
212*2 21 = रदगू, रदगुण, रदगुव (लक्ष्मी छंद)
212*2 22 = रदगी, रदगिण, रदगिव (पद्ममाला छंद)
(ये सभी छंदाएँ तीन और चार की आवृत्ति में भी बनेंगी। जैसे - रबगी, राचग आदि।)
212*3 2 = राबग, रबगण, रबगव (बाला छंद)
212*2 2 212*2 2 = रादगधू, रादगधुण
212*2 22, 212*2 22 = रदगिध, रदगीधण

212*2 +1 (रदलर, रादलरी, रादलरू, रादलरे)
212*2 +2 (रदगर, रारिद, रादगरू, रादगरे)
212*2 +21 (रदगुर, रदगूरी, रदगूरू, रदगूरे)
212*2 +12 (रदलिर, रदलीरी, रारुद, रदलीरे)
212*2 +22 (रदगिर, रदगीरी, रदगीरू, रदगीरे)
212*2 +11 (रदलुर, रदलूरी, रदलूरू, रदलूरे)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 212, 2122, 21212, 21222 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
****

"रं = (2121 आधार गुच्छक )":-

2121*2 2 = रंदग, रंदागण
2121*3 2 = रंबग, रंबागण
2121*4 2 = रंचग, रंचागण
(इन छंदाओं में अंत में ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है। जैसे - रंदाली, रंबागी आदि।)
2121*2 2, 2121*2 2 = रंदागध, रंदगधण
2121*2 22 = रंदागी, रंदागिण, रंदागिव (मयूरसारिणी/मयूरी छंद)

2121 212 = रंरा, रंरण, रंरव (रक्ता/समानिका छंद)
2121*2 212 = रंदर, रंदारण, रंदारव (श्येनिका छंद)
2121*3 212 = रंबर, रंबारण, रंबारव (चामर छंद)
(इन छंदाओं के अंत में र के स्थान पर री, रे या रागी का प्रयोग भी किया जा सकता है।)
2121 212 2121 212 = रंराधू, रंराधुण
2121 212 22, 2121 212 22 = रंरागिध, रंरागीधण

2121 212*2 = रंरद, रंरादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रंरदली)
2121 2122 212 = रंरिर, रंरीरण
2121 2122*2 = रंरिद, रंरीदण
2121 21222 212 = रंरेरा, रंरेरण

2121*2 +1 = (रंदालर, रंदलरी, रंदलरू, रंदलरे)
2121*2 +2 = (रंदागर, रंदगरी, रंरुद, रंदगरे)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 212, 2122, 21212, 21222 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
****

"री = (2122 आधार गुच्छक)":-

2122 22 = रीगी, रीगिण
2122 22 2122 22 = रीगीधू, रीगीधुण

2122*2 2 = रीदग, रीदागण
2122*2 22 = रिदगी, रीदागिण
2122*3 2 = रीबग, रीबागण
2122*3 22 = रिबगी, रीबागिण
2122*2 2, 2122*2 2 = रीदागध, रीदगधण

2122 212 = रीरा, रीरण
2122*2 212 = रीदर, रीदारण
2122*3 212 = रीबर, रीबारण (गीतिका), रीबारव (सीता)
2122 212, 2122 212 = रीरध, रीराधण
(इन छंदाओं के अंत में र के स्थान पर रू, रे या रागी का प्रयोग भी किया जा सकता है।)

2122 212*2 = रीरद, रीरादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रीरदगी)
2122 2121 212 = रीरंरा, रीरंरण
2122 21212 212 = रीरुर, रीरूरण
2122 21212*2 = रीरुद, रीरूदण

2122 21211*2 212 = रीरोदर, रीरोदारण
2122*2 21211 212 = रिदरोरा, रिदरोरण

2122*2 +1 = रिदलर, रीदलरी, रीदलरू, रीदलरे
2122*2 +2 = रीदागर, रीदगरी, रीदगरू, रीदगरे
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 212, 2122, 21212, 21222 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
****

"रीं = (21221 आधार गुच्छक)":-

21221 12 = रींली, रींलिण
21221 12, 21221 12 = रींलिध, रींलीधण
21221 12 212 22 = रींलिरगी, रींलीरागिण

21221*2 12 = रींदाली, रींदालिण

21221 212 = रींरा, रींरण
21221*2 212 = रींदर, रींदारण
21221*3 212 = रींबर, रींबारण
21221 212, 21221 212 = रींरध, रींराधण
21221 12 212 = रींलिर, रींलीरण

(इन छंदाओं के अंत में र के स्थान पर री, रू, रे या रागी का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- 
21221 212 22 = रींरागी, रींरागिण)

21221 212*2 = रींरद, रींरादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रींरादग)
21221 2122 212 = रींरिर, रींरीरण
21221 2122*2 = रींरिद, रींरीदण

21221 212, 21221 212 +22 = रींरधगी, रींरधगिण
****

"रू = (21212 आधार गुच्छक)":- 

21212 2 = रूगा, रूगण
21212 22 = रूगी, रूगिण
21212 2 21212 2 = रुगधू, रूगाधुण
21212 22, 21212 22 = रूगिध, रूगीधण
21212 22 21212 2 = रूगीरुग, रूगीरूगण

21212*2 2 = रूदग, रूदागण
21212*2 12 = रुदली, रूदालिण
21212*2 22 = रुदगी, रूदागिण

21212 212 = रूरा, रूरण
21212*2 212 = रूदर, रूदारण
21212*3 212 = रूबर, रूबारण
21212 212, 21212 212 = रूरध, रूराधण
21212 2 212 = रूगर, रूगारण
21212 22 212 = रूगिर, रूगीरण
(इन छंदाओं के अंत में र के स्थान पर री, रे या रागी का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- रूरागी, रुगरू)

21212 212*2 = रूरद, रूरादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रूरदली)
21212 2122 212 = रूरिर, रूरीरण
21212 2122*2 = रूरिद, रूरीदण

21212 212, 21212 212 +2 = रूराधग, रूरधगण
****

"रूं = (212121 आधार गुच्छक)":-

212121 12 = रूंली, रूंलिण
212121 12, 212121 12 = रूंलिध, रूंलीधण

212121 12 212 = रूंलिर, रूंलीरण
212121 12 2122 = रूंलीरी, रूंलीरिण
212121 12 21212 = रूंलीरू, रूंलीरुण
212121 12 212 22 = रूंलिरगी, रूंलिरगिण

212121 212*2 = रूंरद, रूंरादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रूंरदली)
212121 2122*2 = रूंरिद, रूंरीदण

212121 212, 212121 212 +12 = रूंरधली, रूंरधलिण
****

"रे = (21222 आधार गुच्छक)":-

21222 2 = रेगा, रेगण
21222 22 = रेगी, रेगिण
21222 22, 21222 22 = रेगिध, रेगीधण

21222*2 2 = रेदग, रेदागण
21222*2 22 = रेदागी, रेदागिण

21222 212 = रेरा, रेरण
21222*2 212 = रेदर, रेदारण
21222 212, 21222 212 = रेरध, रेराधण
(212 22)*2 212 = रागीधुर, रागीधूरण
21222 2 212 = रेगर, रेगारण
21222 11 212 = रेलुर, रेलूरण
(इन छंदाओं के अंत में र के स्थान पर री या रू का प्रयोग भी किया जा सकता है। जैसे- रेरी, रेगारू)

21222 212*2 = रेरद, रेरादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रेरदगी)
21222 2122 212 = रेरिर, रेरीरण
21222 2122*2 = रेरिद, रेरीदण

21222 212, 21222 212 +2 = रेराधग, रेरधगण
(इसमें अंत में ग के स्थान पर ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रेरधगी)
****

"रैं = (212221 आधार गुच्छक)":-

212221 12 = रैंली, रैंलिण

212221*2 2 = रैंदग, रैंदागण
212221*2 12 = रैंदाली, रैंदालिण
212221*2 22 = रैंदागी, रैंदागिण

212221 2122 = रैंरी, रैंरिण
212221 21222  = रैंरे, रैंरेण
212221 212 22  = रैंरागी, रैंरागिण

212221 212*2 = रैंरद, रैंरादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रैंरादग)
****

"रो = (21211 आधार गुच्छक )":-
 
21211 2 = रोगा, रोगण
21211 22 = रोगी, रोगिण
21211 22 21211 22 = रोगीधू, रोगीधुण

21211*2 2 = रोदग, रोदागण
21211*2 22 = रोदागी, रोदागिण
21211*3 2 = रोबग, रोबागण

21211 212 = रोरा, रोरण
21211*2 212 = रोदर, रोदारण
21211*3 212 = रोबर, रोबारण
21211 212, 21211 212 = रोरध, रोराधण
21211 2 212 = रोगर, रोगारण
21211 22 212 = रोगिर, रोगीरण
(इन छंदाओं के अंत में र के स्थान पर री रू, रे या रागी का प्रयोग भी किया जा सकता है।)

21211 212*2 = रोरद, रोरादण
(इसमें अंत में ग, ली, गी संयोजित हो सकते हैं। जैसे- रोरदगी)
21211 2122 212 = रोरिर, रोरीरण
21211 2122*2 = रोरिद, रोरीदण
21211 2122*2 212 = रोरीदर, रोरिदरण

21211 2122, 21211 212 = रोरिणरोरा, रोरिणरोरण
21211*2, 21211 212 = रोदंरोरा, रोदंरोरण, रोदंरोरव (चंचरी छंद)
****
****

212 21221 12 = रारींली, रारींलिण

212 212221 12 = रारैंली, रारैंलिण
212 21211 2 = रारोगा, रारोगण
212 21211 22 = रारोगी, रारोगिण
(इन्हें त्रिगुच्छकी छंदा का रूप देने के लिये आधार रगण को आवृत्त किया जायेगा। इससे रदरीगी, रदरैंली, रदरोगी आदि छंदाएँ बनेंगी।)
***
2121 21211 22 = रंरोगी, रंरोगिण

2121 212121 12 = रलरूंली, रलरूंलिण
***
2122 21221 12 = रीरींली, रीरींलिण

2122 212221 12 = रीरैंली, रीरैंलिण

रगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:-

रामक छंदाएँ:- इन छंदाओं में रगण और मगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। 'म' से आरंभ होनेवाले किसी भी गुच्छक तथा 'ग' से आरंभ होनेवाले किसी भी वर्ण के गुरु को ऊलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है यदि उसके दोनों तरफ गुरु वर्ण रहे। यहाँ लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही जो सभी में बन सकती हैं।

212*2 222 = रादम, रदमण
2121*2 222 = रंदम, रंदामण
2122*2 222 = रीदम, रीदामण
(अंत में म के स्थान पर मी (2222) आ सकता है।)

21212 222 = रूमा, रूमण
21212 222, 21212 222 = रूमध, रूमाधण
21212 222  212 = रूमर, रूमारण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में रे (21222) या रो (21211) आ सकता है। म के स्थान पर मी आ सकता है। अंत के र के स्थान पर भी री, रू या रागी आ सकता है। जैसे- रोमरगी)

21211 222 = रोमा, रोमण, रोमव (गाथ छंद)
****

रायक छंदाएँ:- इन छंदाओं में रगण और यगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

212*2 122 = रादय, रदयण
(अंत में य के स्थान पर यी (1222) आ सकता है। जैसे रदयी)

21221 122 = रींया, रींयण
21221 122, 21221 122 = रींयध, रींयाधण
21221 122 212 = रींयर, रींयारण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में रूं (212121) या रैं (212221) आ सकता है। य के स्थान पर यी या यागी आ सकता है। अंत के र के स्थान पर भी री, रू या रागी आ सकता है। जैसे- रैंयीरी)
****

राभक छंदाएँ:- इन छंदाओं में रगण और भगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

212*2 2112 = रदभी, रदभिण
****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया

Saturday, May 27, 2023

तांडव छंद "जागरण"

विपद में सारा देश।
चतुर्दिक कटु परिवेश।।
समझ लो भू की पीर।
उठो अब जागो वीर।।

सभी की अपनी राग।
लगी विघटन की आग।।
युवक अब तुम लो जाग।
उदासी का कर त्याग।।

बजें अलगावी ढोल।
लजाते देश कुबोल।।
भयंकर फैला स्वार्थ।
उठो जन-जन बन पार्थ।।

बनो प्रलयंकर रुद्र।
उफनते उग्र समुद्र।।
मचादो तांडव घोर।
मिटा खलुओं का जोर।।

त्यजो तंद्रा प्राचीन।
नहीं हो मन से हीन।।
दिखादो युवकों आज।
टिकी है तुम पर लाज।।

हुये थे हम आजाद।
कुटिल बँटवारा लाद।।
न हो फिर वैसा बोध।
'नमन' सबसे अनुरोध।।
***********

तांडव छंद विधान -

तांडव छंद 12 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। यह आदित्य जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 12 मात्राओं की मात्रा बाँट - 1 22 22  21(ताल) है। इस छंद के प्रारंभ में भी लघु वर्ण है तथा अंत में भी लघु वर्ण है। प्रारंभिक लघु के पश्चात दो चौकल ओर फिर गुरु लघु वर्ण हैं।
******************

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
29-05-22

Thursday, May 18, 2023

पिरामिड (रे, चन्दा)


रे
चन्दा
निर्मोही,
करता क्यों
आंख मिचौली।
छिप जा अब तो,
किन्ही खूब ठिठौली।।1।।

जो
बात
कह न
सकते हैं,
हम तुमसे।
सोच उसे फिर
ये नैना क्यों बरसे।।2।।

गा
मन
मल्हार,
मिलन की
रुत है आई।
मोहे ऋतुराज,
मन्द है पुरवाई।।3।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-04-18

Tuesday, May 9, 2023

छंदा सागर (तगणादि छंदाएँ)

                      पाठ - 11

छंदा सागर ग्रन्थ

"तगणादि छंदाएँ"


तगणादि छंदाएँ:- तगणादि छंदाओं का प्रथम गुच्छक तगणाश्रित गुच्छक रहता है जो निम्न गुच्छक में से कोई भी हो सकता है।

221 = तगण
2211 = अंतल
2212 = ईतग
22121 = ईंतागल
22112 = ऊतालग
221121 = ऊंतालिल
22122 = एतागग
221221 = ऐंतागिल

तगणादि गुरु-लूकी छंदाएँ:- इन छंदाओं में गुरु वर्ण के मध्य ऊलल वर्ण (11) रहते हैं। वाचिक स्वरूप में ये दोनों लघु स्वतंत्र लघु होते हैं। मात्रिक और वर्णिक में लघु वर्ण सामान्य लघु ही रहते हैं।
****

22112 2 = तूगा, तूगण, तूगव (तनुमध्या छंद)
22112 2, 22112 2  = तूगध, तूगाधण, तूगाधव
(22112 2)*2 = तुगधू, तूगाधुण, तूगाधुव
(इस छंदा के मध्य में आये गुरु वर्ण को ऊलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है।)
22112 21 = तूगू, तूगुण, तूगुव

22112 22 = तूगी, तूगिण, तूगिव (भक्ति छंद)
22112 22 +1 = तूगिल, तूगीलण, तूगीलव
22112 22, 22112 22 = तूगिध, तूगीधण, तूगीधव
(22112 22)*2 = तूगीधू, तूगीधुण, तूगीधुव
22112 22 +1, 22112 22 +1 = तूगीलध, तूगिलधण, तुगिलधव
22112 22 22112 2 = तूगीतुग, तूगीतूगण, तूगीतूगव

22112 222 = तूमा, तूमण, तूमव
22112 2221 = तूमल, तूमालण, तूमालव
22112 2222 = तूमी, तूमिण, तूमिव
22112 22221 = तूमिल, तूमीलण, तूमीलव
****

22112 112 = तूसा, तूसण, तूसव
22112 1121 = तूसल, तूसालण, तूसालव
22112 112, 22112 112 = तूसध, तूसाधण, तूसाधव

22112 1122 = तूसी, तूसिण, तूसिव
22112 11221 = तूसिल, तूसीलण, तूसीलव
22112 1122, 22112 1122 = तूसिध, तूसीधण, तूसीधव
22112 1122, 22112 11221 = तूसीधल, तूसिधलण, तूसिधलव
22112 11221, 22112 11221 = तूसींधा, तूसींधण, तूसींधव

22112 11222 = तूसे, तूसेण, तूसेव
22112 112221 = तूसेल, तूसेलण, तूसेलव
**

2211*2 2 = तंदग, तंदागण, तंदागव
2211*2 21 = तंदागू, तंदागुण, तंदागुव
2211*2 22 = तंदागी, तंदागिण, तंदागिव
2211*2 221 = तंदत, तंदातण, तंदातव
2211*2 22, 2211*2 22 = तंदागिध, तंदागीधण, तंदागीधव
2211*2 22, 2211*2 22 +1 = तंदागीधल, तंदागिधलण, तंदागिधलव
2211*2 222 = तंदम, तंदामण, तंदामव
2211*2 2221 = तंदामल, तंदमलण, तंदमलव
2211*2 2222 = तंदामी (रुबाइयों की छंदा), तंदामिण, तंदामिव
**

22112*2 2 = तूदग, तूदागण, तूदागव
22112*2 21 = तुदगू, तूदागुण, तूदागुव
22112*2 22 = तुदगी, तूदागिण, तूदागिव
22112*2 22 +1 = तूदागिल, तुदगीलण, तुदगीलव
22112*2 222 = तूदम, तूदामण, तूदामव
22112*2 2221 = तूदामल, तूदमलण, तूदमलव
**

22112 22 22112 = तूगीतू (रुबाई), तूगीतुण, तूगीतुव 
22112 22 221121 = तूगीतुल, तूगीतूलण, तूगीतूलव
****

22112 112*2 = तूसद, तूसादण, तूसादव (मोटनक छंद)
22112 112*2 1 = तूसादल, तूसदलण, तूसदलव
22112 112*2 2 = तूसादग, तूसदगण, तूसदगव
22112 112*2 21 = तूसदगू, तूसदगुण, तूसदगुव
22112 112*2 22 = तूसदगी, तूसदगिण, तूसदगिव
22112 112*2 22 +1 = तूसदगिल, तूसदगीलण, तूसदगीलव

22112 11 22112 = तूलूतू, तूलूतुण, तूलूतुव
**

2211 22112 112 = तंतुस, तंतूसण, तंतूसव
2211 22112 1122 = तंतूसी, तंतूसिण, तंतूसिव

2211*3 2 = तंबग (रुबाई), तंबागण, तंबागव
2211*3 21 = तंबागू, तंबागुण, तंबागुव
2211*3 22 = तंबागी, तंबागिण, तंबागिव
2211*3 221= तंबत, तंबातण, तंबातव
2211*3 222 = तंबम, तंबामण, तंबामव
2211*3 2221 = तंबामल, तंबमलण, तंबमलव
**

2211 22112*2 = तंतुद, तंतूदण, तंतूदव

22112*3 2 = तूबग, तूबागण, तूबागव
22112*3 21 = तुबगू, तूबागुण, तूबागुव
22112*3 22 = तुबगी, तूबागिण, तूबागिव
22112*3 22 +1 = तूबागिल, तुबगीलण, तुबगीलव
22112*3 222 = तूबम, तूबामण, तूबामव
(यति के साथ:- तूदंतुम, तूदंतूमण, तूदंतूमव)
22112*3 2221 = तूबामल, तूबमलण, तूबमलव
****
****

तगणावृत्त छंदाएँ :- इन छंदाओं में केवल तगणाश्रित गुच्छक ही रहते हैं जिनकी एक से चार गुच्छक तक की आवृत्तियाँ रहती हैं। गुच्छक के अंत में स्वतंत्र वर्ण जुड़ सकते हैं। द्विगुच्छकी छंदाओं के मध्य में भी स्वतंत्र वर्ण संयोजित हो सकते हैं। इस पाठ में आगे लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं। अब आगे केवल वाचिक और मात्रिक छंदाएँ ही दी जायेंगी। मात्रिक छंदा के अंत के ण के स्थान पर व के प्रयोग से आसानी से वर्णिक छंदा बनायी जा सकती है। इन्हें बनाने के लिये आधार गुच्छक के रूप में इस पाठ के प्रारंभ में बताये गये 8 गुच्छक में से कोई भी लिया जा सकता है।

"त = (221 आधार गुच्छक)":-

221*2 = तादा, तादण, तादव (मंथन/ज्योति छंद)
221*2 2 = तादग, तदगण
221*3 2 = ताबग, तबगण
221*4 2 = ताचग, तचगण
(इन छंदाओं में अंत में ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है। जैसे - तदली, तबगी आदि।)
221*3 22 = तबगी, तबगिण, तबगिव (विध्वंकमाला/लयग्राही छंद)
221*2 2, 221*2 2 = तदगध, तादगधण

221*2 +1 (तदलत, तादलती, तादलतू, तादलते)
221*2 +2 (तदगत, तातिद, तादगतू, तादगते)
221*2 +21 (तदगुत, तदगूती, तदगूतू, तदगूते)
221*2 +12 (तदलित, तदलीती, तातुद, तदलीते)
221*2 +22 (तदगित, तदगीती, तदगीतू, तातेद)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 221, 2212, 22112, 22122 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
****

"तं = (2211 आधार गुच्छक)":-

2211 2212 = तंती, तंतिण
2211 22122 = तंते, तंतेण
2211 2212, 2211 2212 = तंतिध, तंतीधण
2211*2 2212 = तंदाती, तंदातिण
2211*3 2212 = तंबाती, तंबातिण

2211 221*2 +2 = तंतादग, तंतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
2211 2212*2 = तंतिद, तंतीदण
2211 2212*2 +2 = तंतीदग, तंतिदगण
2211 22122*2 = तंतेदा, तंतेदण

2211*2 +2 (तंदागत, तंदगती, तंतुद, तंदगते)
2211*2 +21 (तंदागुत, तंदागूती, तंदागूतू, तंदागूते)
(वर्ण संयोजन के पश्चात क्रमशः 221, 2212, 22112, 22122 गुच्छक की वाचिक छंदाएँ दी गयी हैं।)
****

"ती = (2212 आधार गुच्छक)":-

2212 22 = तीगी, तीगिण
(यह छंदा 22122 2 से अलग है। इसमें रचनाकार चाहे तो 22 को 112 में भी ले सकता है।)

2212*2 2 = तीदग, तीदागण
2212*2 12 = तिदली, तीदालिण
2212*2 22 = तिदगी, तीदागिण
(ये छंदाएँ तीन और चार की आवृत्ति में भी बनेंगी। जैसे - तिबली, तीचग आदि।)
2212*2 2, 2212*2 2 = तीदागध, तीदगधण

2212 221 = तीता, तीतण
2212*2 221 = तीदत, तीदातण
2212*3 221 = तीबत, तीबातण, तीबातव (गीता छंद)
2212 22112 = तीतू, तीतुण
2212 22112, 2212 22112 = तीतुध, तीतूधण
2212 11 2212 = तीलूती, तीलूतिण
2212*2 22112 = तिदतू, तीदातुण

2212 221*2 +2 = तीतादग, तीतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
2212 22112*2 = तीतुद, तीतूदण

2212*2 +1 2212 = तीदलती, तीदलतिण
2212*2 +2 2212 = तीदगती, तीदगतिण
(इन छंदाओं में अंत में ती के स्थान पर तू, ते गणक भी आ सकते हैं।)
****

"तीं = (22121 आधार गुच्छक)":-

22121 2 = तींगा, तींगण
22121 12 = तींली, तींलिण
22121 22 = तींगी, तींगिण
22121 2, 22121 2 = तींगध, तींगाधण
22121 22 22121 22 = तींगीधू, तींगीधुण
22121 22, 22121 22 = तींगिध, तींगीधण, तींगीधव (दिगपाल छंद)

22121*2 = तींदा, तींदण
22121*2 2 = तींदग, तींदागण
22121*2 12 = तींदाली, तींदालिण
22121*2 22 = तींदागी, तींदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेगी।)

22121 2212 = तींती, तींतिण
22121 2212, 22121 2212 = तींतिध, तींतीधण
22121*2 2212 = तींदाती, तींदातिण
22121 2 2212 = तींगाती, तींगातिण
22121 21 2212 = तींगूती, तींगूतिण
22121 12 2212 = तींलीती, तींलीतिण
22121 22 2212 = तींगीती, तींगीतिण
(इनके अंत में ती के स्थान पर तू, ते गणक भी आ सकते हैं।)

22121 221*2 +2 = तींतादग, तींतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
22121 22112*2 = तींतुद, तींतूदण

22121 221, 22121 221 +2 = तींताधग, तींतधगण
****

"तू = (22112 आधार गुच्छक )":-

22112 2212 = तूती, तूतिण
22112 2212, 22112 2212 = तूतिध, तूतीधण
22112*2 2212 = तुदती, तूदातिण
22112 11 2212 = तूलूती, तूलूतिण
22112 2 2212 = तुगती, तूगातिण
22112 22 2212 = तूलीती, तूलीतिण
(इनके अंत में ती के स्थान पर ते गणक भी आ सकता है।)

22112 221*2 2 = तूतादग, तूतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
22112 2212*2 = तूतिद, तूतीदण

22112 221, 22112 221 +2 = तूताधग, तूतधगण
****

"तूं = (221121 आधार गुच्छक)": 

221121 2 = तूंगा, तूंगण
221121 22,    = तूंगी, तूंगिण
221121 22, 221121 22 = तूंगिध, तूंगीधण

221121*2 2 = तूंदग, तूंदागण
221121*2 22 = तूंदागी, तूंदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेगी।)

221121 2212 = तूंती, तूंतिण
221121 2212, 221121 2212 = तूंतिध, तूंतीधण
221121*2 2212 = तूंदाती, तूंदातिण
221121 2 2212 = तूंगाती, तूंगातिण
221121 12 2212 = तूंलीती, तूंलीतिण
221121 22 2212 = तूंगीती, तूंगीतिण
(इनके अंत में ती के स्थान पर तू, ते गणक भी आ सकते हैं।)

221121 221*2 2 = तूंतादग, तूंतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
221121 2212*2 = तूंतिद, तूंतीदण
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"ते = (22122 आधार गुच्छक)":-

22122 2 = तेगा, तेगण
22122 22 = तेगी, तेगिण
22122 22, 22122 22 = तेगिध, तेगीधण
22122 22 22122 2 = तेगीतेगा, तेगीतेगण

22122*2 2 = तेदग, तेदागण
22122*2 22 = तेदागी, तेदागिण
(ये छंदाएँ तीन की आवृत्ति में भी बनेगी।)

22122 2212 = तेती, तेतिण
22122 2212, 22122 2212 = तेतिध, तेतीधण
22122*2 2212 = तेदाती, तेदातिण
22122 2 2212 = तेगाती, तेगातिण
22122 22 2212 = तेगीती, तेगीतिण
(इनके अंत में ती के स्थान पर तू गणक भी आ सकता है।)

22122 221*2 2 = तेतादग, तेतदगण
(ग के स्थान पर ली या गी भी संयोजित हो सकता है।)
22122 2212*2 = तेतिद, तेतीदण
22122 22112*2 = तेतुद, तेतूदण

22122 221, 22122 221 +2 = तेताधग, तेतधगण
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तगणाश्रित बहुगणी छंदाएँ:- हमने तगणक छंदाओं की संभावनाओं का विस्तृत अध्ययन किया। अब हम तगण गुच्छकों के साथ अन्य गणों के गुच्छकों के मेल से बनी छंदाओं का अवलोकन करेंगे। आधार गुच्छक पूर्णतया बनने के पश्चात ही अन्य गण का गुच्छक जुड़ सकता है। जैसे 2212 222 = तीमा छंदा न बनकर 22122 22 = तेगी छंदा बनेगी। परंतु गुच्छक की आवृत्ति की प्राथमिकता है।

तामक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण के साथ मगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। मगण के किसी भी गुरु वर्ण को ऊलल वर्ण में तोड़ा जा सकता है यदि उसके दोनों तरफ गुरु वर्ण रहे।
यहाँ लघु वृद्धि की छंदाएँ नहीं दी जा रही हैं जो सभी में बन सकती हैं।

221*2 222 = तादम, तदमण
2212*2 222 = तीदम, तिदमण
(अंत में मी, मू गुच्छक भी आ सकते हैं।)

22121 222 = तींमा, तींमण
22121 222, 22121 222 = तींमध, तींमाधण
22121 222  2212 = तींमाती, तींमातिण

(इन छंदाओं में आधार गुच्छक के रूप में तूं (221121), ते (22122) आ सकता है। म के स्थान पर मी आ सकता है। अंत के ती के स्थान पर भी तू या ते आ सकता है।)
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तारक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण और रगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

221*2 212 = तादर, तदरण
2211*2 212 = तंदर, तंदारण
(अंत में री, रू, रे गुच्छक आ सकते हैं।)

22121 212 = तींरा, तींरण
(यह छंदा आधार गुच्छक में परिवर्तन से तूंरा और तैंरा नाम से बन सकती है। अंत में भी र के स्थान पर री आ सकता है।)
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तायक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण और यगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

221*2 122 = तादय, तदयण
2212*2 122 = तीदय, तिदयण
(अंत में यी गुच्छक भी आ सकता है। जैसे- तदयी)
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ताजक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण और जगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है।

221*2 1212 = तदजी, तदजिण
221*2 12122 = तदजे, तदजेणा, तदजेवा (इंद्रवज्रा छंद)
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तासक छंदाएँ:- इन छंदाओं में तगण और सगण आधारित गुच्छक का प्रयोग होता है। इन छंदाओं में  2212 के साथ 11212 का मेल है। 11212 के 11 को 2 का ही रूप मानने से यह मेल एक रूप से 2212 की आवृत्ति है। इसलिये इन छंदाओं में इन्हें आवृत्ति के रूप में ही लिया गया है।

2212*2 112 = तीदस, तिदसण
(अंत में सी, सू गुच्छक आ सकते हैं। जैसे तिदसी, तिदसू)

2212 11212 = तीसू , तीसुण, तीसुव
2212 11212, 2212 11212 = तीसुध, तीसूधण, तीसूधव
2212 112121, 2212 112121 = तीसूंधा, तीसूंधण, तीसूंधव

2212 11212 2 = तीसुग, तीसूगण, तीसूग
2212 11212 22 = तीसूगी, तीसूगिण, तीसूगिव

2212 11212 2212 = तीसूती, तीसूतिण, तीसूतिव
2212 11212*2 = तीसुद, तीसूदण, तीसूदव
2212 11212*2 2212 = तीसुदती, तीसुदतिण, तीसुदतिव

22112 11212 = तूसू, तूसुण, तूसुव (उपस्थिता छंद)
22112 11212, 22112 11212 = तूसुध, तूसूधण, तूसूधव
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया

Friday, May 5, 2023

तमाल छंद "ग्रीष्म ताण्डव"

दिखा रही है ग्रीष्म पूर्ण बल आज,
ठहर गये हैं भू तल के सब काज।
प्रखर उष्णता का कर कुटिल प्रसार,
वसुधा को झुलसाती लू की धार।।

तप्त तपन की ताप राशि दुस्वार,
प्रलय स्वप्न को करती ज्यों साकार।
अट्टहास में रुदन समेटे घोर,
ग्रीष्म बहाये पिघला लावा जोर।।

नहीं छुपाने का तन को है ठौर,
घोर व्यथा का आया भू पर दौर।
शुष्क हुये सब नदी सरोवर कूप,
नर, पशु, पक्षी, तरु का बिगड़ा रूप।।

दुष्कर अब तो सहना सलिल अभाव,
रहा मौत दे अब यह भीषण दाव।
झुलसाया जन जन को यह संताप,
कब जायेगा छोड़ प्रलय की छाप।।
***.  ***

तमाल छंद विधान - तमाल छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति चरण 19 मात्रा रहती हैं। दो-दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौपाई + गुरु लघु (16+3 =19मात्रा)
चरण के अंत में गुरु लघु अर्थात (21) होना अनिवार्य है। चौपाई छंद का विधान अनुपालनिय होगा, जो कि निम्न है-

चौपाई छंद चौकल और अठकल के मेल से बनती है। चार चौकल, दो अठकल या एक अठकल और दो चौकल किसी भी क्रम में हो सकते हैं। समस्त संभावनाएँ निम्न हैं।
4-4-4-4, 8-8, 4-4-8, 4-8-4, 8-4-4

चौपाई छंद में कल निर्वहन केवल चतुष्कल और अठकल से होता है। अतः एकल या त्रिकल का प्रयोग करें तो उसके तुरन्त बाद विषम कल शब्द रख समकल बना लें। जैसे 3+3 या 3+1 इत्यादि।

चौकल = 4 – चौकल में चारों रूप (11 11, 11 2, 2 11, 22) मान्य रहते हैं।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
21-05-22

Wednesday, April 26, 2023

ग़ज़ल (मानवी जीवन महासंग्राम है)

बह्र:- 2122  2122  212

मानवी जीवन महासंग्राम है,
प्रेम से रहना यहाँ विश्राम है।

पेट की ख़ातिर है इतनी भागदौड़,
ज़िंदगी में अब कहाँ आराम है।

जोर मँहगाई का ही चारों तरफ,
हर जगह नव छू रही आयाम है।

स्वार्थ नेताओं में बढ़ता जा रहा,
देश जिसका भोगता परिणाम है।

हाल क्या बदइंतजामी का कहें,
रोज हड़तालें औ' चक्का जाम है।

क़त्ल, हिंसा और लुटती अस्मिता,
हर कहीं अब तो मचा कुहराम है।

मन की दो बातें 'नमन' किससे करें,
पूछिये जिससे भी उस को काम है।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-12-17