Sunday, February 16, 2020

प्रजातन्त्र (कुण्डलिया)

चक्की के दो पाट सा, प्रजातन्त्र का तंत्र।
जनता उनमें पिस जपे, अच्छे दिन का मंत्र।
अच्छे दिन का मंत्र, छलावा आज बड़ा है।
कैसा सत्ता हाथ, हाय ये शस्त्र पड़ा है।
नेताओं को फ़िक्र, मौज उनकी हो पक्की।
रहें पीसते लोग, भले जीवन भर चक्की।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-04-18

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