हरि मुख से जो झरी, गीता जैसी वाणी खरी,
गीता का जो रस पीता, होता बेड़ा पार है।
ज्ञान-योग कर्म-योग, भक्ति-योग से संयोग,
गीता के अध्याय सारे, अमिय की धार है।
कर्म का संदेश देवे, शोक सारा हर लेवे,
एक एक श्लोक या का, भाव का आगार है।
शास्त्र की निचोड़ गीता, सहज सरल हिता,
पंक्ति पंक्ति रस भरी, शब्द शब्द सार है।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
29-07-17
गीता का जो रस पीता, होता बेड़ा पार है।
ज्ञान-योग कर्म-योग, भक्ति-योग से संयोग,
गीता के अध्याय सारे, अमिय की धार है।
कर्म का संदेश देवे, शोक सारा हर लेवे,
एक एक श्लोक या का, भाव का आगार है।
शास्त्र की निचोड़ गीता, सहज सरल हिता,
पंक्ति पंक्ति रस भरी, शब्द शब्द सार है।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
29-07-17
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