Friday, October 23, 2020

पिरामिड (बूंद)

(1)

है
रुत
पावस,
वर्षा बूंदें
करे फुहार,,
मिटा हाहाकार,
भरा सुख-भंडार।
***
(2)

क्यों
होती 
विनष्ट,
आँखें मूंद
जल की बूंद,
ये न है स्वीकार,
हो ठोस प्रतिकार।
***

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
09-07-19

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