बह्र:- 2222 2222 2222 222
ग़म पी पी कर दिल जब ऊबा, तब मयखाने याद आये,
तेरी आँखों की मदिरा के, सब पैमाने याद आये।
उम्मीदों की मिली हवाएँ जब भी दिल के शोलों को
तेरे साथ गुजारे वे मदहोश ज़माने याद आये।
मदहोशी में कुछ गाने को जब भी प्यासा दिल मचला,
तेरा हाथ पकड़ जोे गाये, सभी तराने याद आये।
ख्वाबों में भी मैंने चाहा, जब भी तुझ को छूने को,
इठला कर वो ना ना करते, हसीं बहाने याद आये।
संगी साथी संग कभी गर दिल हल्का करना चाहा,
तू मुझ में मैं तुझ में खोया दो दीवाने याद आये।
पल जो तेरे साथ गुजारे, तरस गया हूँ अब उनको,
तेरी मीठी नोक झोंक के, सब अफ़साने याद आये।
नए कभी उपहार मिलें तो, टीस 'नमन'-मन में उठती,
होठों से जो तुझ से मिले थे, वे नज़राने याद आये।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
15-12-16
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