Thursday, August 12, 2021

मुक्तक (कलम, कविता -3)

मिट्टी का परिचय मिट्टी है, जो मिट्टी में मिल जानी है,
अपनी महिमा अपने मुख से, कवि को कभी नहीं गानी है,
कवि का परिचय उसकी कविता, जो सच्ची पहचान उसे दे, 
ढूँढें कवि उसकी कविता में, बाकी सब कुछ बेमानी है।

(32 मात्रिक छंद)
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दिल के मेरे भावों का इज़हार है हिन्दी ग़ज़ल,
शायरी से बेतहाशा प्यार है हिन्दी ग़ज़ल
छंद में हो भाव भी हो साथ में हो गायकी,
आज इन बातों का ही विस्तार है हिन्दी ग़ज़ल।

(2122*3 212)
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लिख सकूँगा या नहीं ये था वहम,
पर कलम ज्यों ली मिटा सारा भरम,
भाव मन में ज्यों ही उमड़े यूँ लगा,
बात मुझ से कर रही है ये कलम।

(2122  2122  212)
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-08-2016

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