Saturday, August 14, 2021

क्षणिकाएँ (विडम्बना)

(1)

झबुआ की झोंपड़ी पर
बुलडोजर चल रहे हैं
सेठ जी की
नई कोठी जो
बन रही है।
**

(2)

बयान, नारे, वादे
देने को तो
सारे तैयार
पर दुखियों की सेवा,
देश के लिये जान
से सबको है इनकार।
**

(3)

पुराना मित्र
पहली बार स्टेशन आ
गाडी में बैठा गया
दूसरी बार
स्टेशन के लिये
ऑटो में बैठा दिया
तीसरी बार
चौखट से टा टा किया।
**

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-05-19

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