बह्र :- 2122 2122 2122 212
देश की ख़ातिर सभी को जाँ लुटाने की कहो,
दुश्मनों को खून के आँसू रुलाने की कहो।
देश की चोड़ी हो छाती और ऊँचा शीश हो,
भाव ऐसे नौजवानों में जगाने की कहो।
ज्ञान की जिस रोशनी में हम नहा जग गुरु बने,
फिर उसी गौरव को भारत भू पे लाने की कहो।
बेसुरे अलगाव के जो गीत गायें अब उन्हें,
देश की आवाज में सुर को मिलाने की कहो।
जो हमारी भूमि पे आँखें गड़ायें बैठे हैं,
जड़ से ही अस्तित्व उन सब का मिटाने की कहो।
देश बाँटो राज भोगो का रखें सिद्धांत जो,
ऐसे घर के दुश्मनों से पार पाने की कहो।
शान्ति का संदेश जग को दो 'नमन' करके इसे,
शस्त्र भी इसके लिये पर तुम उठाने की कहो।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
07-07-20
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