जापानी विधा (5-7-5-7-7)
निशा ने पाया
मयंक सा साजन
हुई निहाल,
धारे तारक-माल
खूब करे धमाल।
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निशा ने पाया
मयंक सा साजन
हुई निहाल,
धारे तारक-माल
खूब करे धमाल।
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तारक अस्त
हुई शर्म से लाल
भोर है मस्त,
रवि-रश्मि संघात
सरसे जलजात।
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भ्रमर गूँज,
मधुपरी नर्तन,
हर्षित कूँज,
आया नव विहान
रजनी अवसान।
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ग्राम्य-जीवन
संदल उपवन
सरसावन,
सुरभित पवन
वास बरसावन।
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हवा में बहे
सेमली शुभ्र गोले,
आ कर सजे,
हरित दूब पर
जैसे झरे हों ओले।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-06-19
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