हल किसान का नहिं रुके, मौसम का जो रूप हो।
आँधी हो तूफान हो, चाहे पड़ती धूप हो।।
भाग्य कृषक का है टिका, कर्जा मौसम पर सदा।
जीवन भर ही वो रहे, भार तले इनके लदा।।
बहा स्वेद को रात दिन, घोर परिश्रम वो करे।
फाके में खुद रह सदा, पेट कृषक जग का भरे।।
लोगों को जो अन्न दे, वही भूख से ग्रस्त है।
करे आत्महत्या कृषक, हिम्मत उसकी पस्त है।।
रहे कृषक खुशहाल जब, करे देश उन्नति तभी।
है किसान तुझको 'नमन', ऋणी तुम्हारे हैं सभी।।
आँधी हो तूफान हो, चाहे पड़ती धूप हो।।
भाग्य कृषक का है टिका, कर्जा मौसम पर सदा।
जीवन भर ही वो रहे, भार तले इनके लदा।।
बहा स्वेद को रात दिन, घोर परिश्रम वो करे।
फाके में खुद रह सदा, पेट कृषक जग का भरे।।
लोगों को जो अन्न दे, वही भूख से ग्रस्त है।
करे आत्महत्या कृषक, हिम्मत उसकी पस्त है।।
रहे कृषक खुशहाल जब, करे देश उन्नति तभी।
है किसान तुझको 'नमन', ऋणी तुम्हारे हैं सभी।।
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