Tuesday, August 13, 2019

यशोदा छंद "प्यारी माँ"

यशोदा छंद / कण्ठी छंद

तु मात प्यारी।
महा दुलारी।।
ममत्व पाऊँ।
तुझे रिझाऊँ।।

गले लगाऊँ।
सदा मनाऊँ।।
करूँ तुझे माँ।
प्रणाम मैं माँ।।

तु ही सवेरा।
हरे अँधेरा।।
बिना तिहारे।
कहाँ सहारे।।

दुलार देती।
बला तु लेती।।
सनेह दाता।
नमामि माता।।
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यशोदा छंद / कण्ठी छंद विधान -

रखो "जगोगा" ।
रचो 'यशोदा'।।

"जगोगा" = जगण, गुरु गुरु  
(121 22) = 5 वर्ण की वर्णिक छंद, 4  चरण,
2-2 चरण समतुकांत।

"कण्ठी छंद" के नाम से भी यह छंद जानी जाती है, जिसका सूत्र -

कण्ठी छंद विधान -

"जगाग" वर्णी।
सु-छंद 'कण्ठी'।।
"जगाग" = जगण गुरु गुरु (121 2 2) = 5 वर्ण की वर्णिक छंद।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
05-06-17

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