बह्र:- 212 1212 1212
उनके हुस्न का गज़ब जलाल है,
ये बनाने वाले का कमाल है।
चहरा मरमरी गढ़ा ये क्या खुदा,
काम ये बहुत ही बेमिशाल है।
जब से रूठ के गये हैं जाने मन,
हम सके नहीं मना मलाल है।
नूर आँख का हुआ ये दूर क्या,
पूछिये न क्या हमारा हाल है।
रात रात बात चाँद से करें,
दिन गुज़रता जैसे कोई साल है।
इस अँधेरी शब की होगी क्या सहर,
दिल में अब तो एक ही सवाल है।
अब 'नमन' की हर ग़ज़ल के दर्द में,
उनका ही रहे छिपा खयाल है।
जलाल- तेज, चमक
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
23-06-19
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