दोहा छंद
जीव जंतु जंगम जगत, सबको समझ समान।
योग क्षेम करके वहन, प्रभु ही रखते ध्यान।।
राम, कृष्ण, वामन कभी, कूर्म, मत्स्य अभिधान।
पाप बढ़े अवतार ले, प्रभु ही रखते ध्यान।।
ब्रह्म-रूप उद्गम करे, रुद्र-रूप अवसान।
विष्णु-रूप में सृष्टि का, प्रभु ही रखते ध्यान।।
अर्जुन के बन सारथी, गीता कीन्हि बखान।
भक्त दुखों में जब घिरे, प्रभु ही रखते ध्यान।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
11-06-19
योग क्षेम करके वहन, प्रभु ही रखते ध्यान।।
राम, कृष्ण, वामन कभी, कूर्म, मत्स्य अभिधान।
पाप बढ़े अवतार ले, प्रभु ही रखते ध्यान।।
ब्रह्म-रूप उद्गम करे, रुद्र-रूप अवसान।
विष्णु-रूप में सृष्टि का, प्रभु ही रखते ध्यान।।
अर्जुन के बन सारथी, गीता कीन्हि बखान।
भक्त दुखों में जब घिरे, प्रभु ही रखते ध्यान।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
11-06-19
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