(1-7 और 7-1)
पी
कर
ये आँसू
जी रहे हैं
किसी तरह।
आँसू बह रहे
आँखों से रह रह।
नहीं टिक रहा है
अब कहीं भी जी।
याद में तेरी
हर रोज
जी रहे
खून
पी।
******
जी
रहे
जिंदगी
अब हम
आसरे तेरे।
उजालों में छाए
घनघोर अंधेरे।
गुजरते हैं दिन
अब आँसू पी पी।
तेरी याद में
है कितना
तड़पा
मेरा
जी।
*****
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
11-11-16
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