कर्मठता नहिँ त्यागिए, करें सदा कुछ काम।
कर्मवीर नर पे टिका, देश धरा का नाम।
देश धरा का नाम, करें वो कुल को रौशन।
कर्म कभी नहिँ त्याग, यही गीता का दर्शन।
कहे 'बासु' समझाय, करो मत कभी न शठता।
सौ झंझट भी आय, नहीं छोड़ो कर्मठता।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
21-12-16
No comments:
Post a Comment