दोहा छंद
भरा पाप-घट तब हुआ, मोदी का अवतार।
बड़े नोट के बन्द से, मेटा भ्रष्टाचार।।
जमाखोर व्याकुल भये, कालाधन बेकार।
सेठों की नींदें उड़ी, दीन करे जयकार।।
नई सुबह की लालिमा, नई जगाये आश।
प्राची का सूरज पुनः, जग में करे प्रकाश।।
दोहा मुक्तक
चोर चोर का था मचा, सकल देश में शोर।
शोर तले जनता लखे, नव आशा की भोर।
भोर सुहानी स्वप्नवत, जिसकी सब को आस।
आस करेगा पूर्ण अब, जो कहलाया चोर।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
19-11-2016
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