Saturday, January 16, 2021

आरोही अवरोही पिरामिड (वक्त का मोल)

(1-7 और 7-1)

(वक्त का मोल)

जो
मोल
वक़्त का
ना  समझे
पछताते वो।
हो काम का वक़्त
सोये रह जाते वो।

हाथों  को  मलने से
लाभ अब क्या हो?
जो बीत  गये
पल नहीं
लौट के
आते
वो।।
*****

(क्षणभंगुर जीवन)

ये
चार
दिनों का
जीवन है
नाम कमा ले।
सत्कर्मों की पूँजी
ले के पैठ जमा ले।

हीरे सा ये जीवन
न माटी में मिला।
परोपकार
कर यहाँ
धूनी तु
रमा
ले।।
********

(वर्तमान)

जो
बीत
चुका है
उस  पर
नयन बन्द
लेना तुम कर;
यूनान मिश्र रोमाँ
मिटे आज खो कर;
नेत्र रखो खुल्ला
वर्तमान  पे;
सार सदा
इस में
जग
में।
*****

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
14-08-18

No comments:

Post a Comment