हाय अनाथ
आवास फुटपाथ
जाड़े की रात।
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दीन लाचार
शर्दी गर्मी की मार
झेले अपार।
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हाय गरीब
जमाना ही रकीब
खोटा नसीब।
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तेरी गरीबी
बड़ी बदनसीबी
सदा करीबी।
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लाचार दीन
दुर्बल तन-मन
कैसा जीवन?
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दैन्य का जोर
तपती लू सा घोर
कहीं ना ठौर।
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दीन की खुशी
नित्य की एकादशी
ओढ़ी खामोशी।
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सुविधा हीन
दुख पर आसीन
अभागा दीन।
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दीन का जोखा
जग भर ने सोखा
केवल धोखा।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
20-06-19
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