Wednesday, February 20, 2019

कण्ठी छंद "सवेरा"

कण्ठी छंद / यशोदा छंद

हुआ सवेरा।
मिटा अँधेरा।।
सुषुप्त जागो।
खुमार त्यागो।।

सराहना की।
बड़प्पना की।।
न आस राखो।
सुशान्ति चाखो।।

करो भलाई।
यही कमाई।।
सदैव संगी।
कभी न तंगी।।

कुपंथ चालो।
विपत्ति पालो।।
सुपंथ धारो।
कभी न हारो।।
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कण्ठी छंद / यशोदा छंद विधान -

"जगाग" वर्णी।
सु-छंद 'कण्ठी'।।

"जगाग" = जगण गुरु गुरु (121 2 2) = 5 वर्ण की वर्णिक छंद।

यशोदा छंद" के नाम से भी यह छंद जानी जाती है, जिसका सूत्र -

यशोदा छंद विधान -

रखो "जगोगा" ।
रचो 'यशोदा'।।

"जगोगा" = जगण, गुरु गुरु  
(121 22) = 5 वर्ण की वर्णिक छंद, 4  चरण,
2-2 चरण समतुकांत।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-02-19

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