Wednesday, February 13, 2019

हरिणी छंद "नाम-जप"

नर तुम बनो, नामोच्चारी, हरे भव-भार ये।
सुगम पथ ये, संतों का है, दिया उपहार ये।।
नटवर तथा, राधे जी को, भजे मन शांत हो।
मधुर सुर में, शोभा गाओ, कभी मत क्लांत हो।।

जहँ जहँ बसे, राधा प्यारी, वहीं घनश्याम हैं।
यदि मन लगा, दोनों में तो, बने सब काम हैं।।
जब मन लगे, राधा जी में, तभी सुध श्याम ले।
हृदय इनके, भावों में खो, सदैव सुनाम ले।।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
13-02-19

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