(1-7 और 7-1)
जो
तुम
आँखों से
कह देते
तो मान जाते।
हम भी जुबाँ पे
कोई बात ना लाते।
अब ना हो सकेगी
वापस बात वो।
कह जाती है
खामोशियाँ
ना सके
जुबाँ
जो।
*****
जो
बात
नयन
कह देते
चुप रह के।
वहीं रहे लाख
शब्द बौने बन के।
जो कभी हुए नहीं
आँखों से घायल।
नैनों की भाषा
क्या समझे
वे रूखे
मन
के।।
*****
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-2-17
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