बहरे मीर:- 22 22 22 2
कब से प्यासे नैना दो,
अब तो सूरत दिखला दो।
आज सियासत बस इतनी,
आग लगा कर भड़का दो।
बदली में ओ घूँघट में,
छत पर चमके चन्दा दो।
आगे आकर नवयुवकों,
देश की किस्मत चमका दो।
दीन दुखी पर ममता का,
अपना आँचल फैला दो।
मंसूबों को दुश्मन के,
ज्वाला बन कर दहका दो।
रमते जोगी अपना क्या,
लेना एक न देना दो।
रच कर काव्य 'नमन' ऐसा,
तुम क्या हो ये बतला दो।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
12-11-2019
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