Friday, July 9, 2021

बाल गीत (हम सारे ही एक हैं)

 बाल गीत

बालक मन के नेक हैं,
हम सारे ही एक हैं।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
सारे ही हैं भाई भाई।
अलग सभी का खान-पान है,
पहनावे की अलग शान है।
दिखते सभी अनेक हैं,
पर सारे ही एक हैं।

अभी पढ़ाई में कुछ कच्चे,
धुन के पक्के, मन के सच्चे।
इक दूजे से लड़ भी लेते,
आँखें दिखा पटखनी देते।
ऊँची रखते टेक हैं,
किंतु इरादे नेक हैं।

मिलजुल के त्योहार मनाते,
झूम झूम कर हँसते गाते।
जन्म दिवस यारों का पड़ता,
जोश हमारा नभ पर चढ़ता।
उपहारों के पेक हैं,
मिल के खाते केक हैं।

स्वप्न अनेकों मन में पलते,
हाथ मिला हम सब से चलते।
मुसीबतों में भी हम हँसते,
बहकावों में कभी न फँसते।
रखते पूर्ण विवेक हैं,
भारत के अभिषेक हैं।

बालक मन के नेक हैं,
हम सारे ही एक हैं।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
26-10-19

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