Friday, July 9, 2021

मनहरण घनाक्षरी "राम महिमा"

मनहरण घनाक्षरी

शिशु रोये बिन क्षीर, राँझा रोये बिन हीर,
दुआ दे फ़कीर नहीं, पीर कैसे मिटेगी?

नीड़ बिन हीन कीर, वीर बिन शमशीर,
कोई भी तुणीर कैसे, तीर बिन सोहेगी?

शेर बिन सूना गीर, हीन मीन बिन नीर,
जब है जमीर खाली, धीर कैसे आयेगी?

बिन कोई तदवीर, जगे नहीं तकदीर,
राम नहीं सीर कैसे, भव-भीर छूटेगी?

बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया
27-11-18

No comments:

Post a Comment