जापानी विधा (5-7-7-5-7-7)
किसान भाई
मौसम हरजाई
सरकार पराई।
अन्न उगाया
फसल की जगह
हाय रे! मौत उगी।
****
मिट्टी से लड़े
कृषक के फावड़े
तब फ़सल झड़े,
पर हाय रे
तभी मौसम अड़ा
भारी संकट पड़ा।
****
उगानेवाले
ग़म खा के जी रहे
खुद को मिटा रहे।
बेचनेवाले
बादाम पिस्ता खाते
हर खुशी मनाते।
****
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
3-09-16
किसान भाई
मौसम हरजाई
सरकार पराई।
अन्न उगाया
फसल की जगह
हाय रे! मौत उगी।
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मिट्टी से लड़े
कृषक के फावड़े
तब फ़सल झड़े,
पर हाय रे
तभी मौसम अड़ा
भारी संकट पड़ा।
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उगानेवाले
ग़म खा के जी रहे
खुद को मिटा रहे।
बेचनेवाले
बादाम पिस्ता खाते
हर खुशी मनाते।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
3-09-16
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