5-7-7-5-7-7 वर्ण
हम स्वदेशी
अपनों का न साथ
घर में भी विदेशी;
गया बिखर,
बसा बसाया घर!
कोई न ले खबर।
**
बड़े लाचार,
गैरों का अत्याचार,
अपनों से दुत्कार;
सोची समझी
साजिश के शिकार,
कहाँ है सरकार?
**
हम ना-शाद,
उनका ये जिहाद
भीषण अवसाद;
न प्रतिवाद
खो जाये फरियाद,
हाय रे सत्तावाद।
**
(मेरठ में हिंदू परिवारों के पलायन पर)
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-06-19
हम स्वदेशी
अपनों का न साथ
घर में भी विदेशी;
गया बिखर,
बसा बसाया घर!
कोई न ले खबर।
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बड़े लाचार,
गैरों का अत्याचार,
अपनों से दुत्कार;
सोची समझी
साजिश के शिकार,
कहाँ है सरकार?
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हम ना-शाद,
उनका ये जिहाद
भीषण अवसाद;
न प्रतिवाद
खो जाये फरियाद,
हाय रे सत्तावाद।
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(मेरठ में हिंदू परिवारों के पलायन पर)
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-06-19
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