2*8 (मात्रिक बहर)
(पदांत 'कर डाला', समांत 'आ' स्वर)
यहाँ चीन की आ बेटी ने,
सबको मतवाला कर डाला।
बच्चा, बूढ़ा या जवान हो,
कद्रदान अपना कर डाला।।
होता लख के चहरा तेरा,
तेरे आशिक जन का' सवेरा।
जब तक शम्मा सी ना आये,
तड़पत परवाना कर डाला।।
लब से गर्म गर्म ना लगती,
आँखों से न खुमारी भगती।
करवट बदले बाट देखते,
जादू ये कैसा कर डाला।।
कड़क रहो तो लगे मस्त तू,
मिले न जब तक करे पस्त तू।
लगी गले से जब मतवाली,
तन मन जोशीला कर डाला।।
गरम रहो तो हमें लुभाती,
ठण्डी तू बिलकुल न सुहाती।
चहरे पे दे गर्म भाप को,
पागल तन मन का कर डाला।।
जो तु लिये हो पूरी लाली,
तीखी और मसालेवाली।
चुश्की चुश्की ले चखने पर,
खुशबू से पगला कर डाला।।
चाय पियें जो वे पछतातेे,
जो न पियें वे भी ग़म खाते।
'नमन' चीन की बेटी तूने,
ये देश दिवाना कर डाला।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-06-2016
(पदांत 'कर डाला', समांत 'आ' स्वर)
यहाँ चीन की आ बेटी ने,
सबको मतवाला कर डाला।
बच्चा, बूढ़ा या जवान हो,
कद्रदान अपना कर डाला।।
होता लख के चहरा तेरा,
तेरे आशिक जन का' सवेरा।
जब तक शम्मा सी ना आये,
तड़पत परवाना कर डाला।।
लब से गर्म गर्म ना लगती,
आँखों से न खुमारी भगती।
करवट बदले बाट देखते,
जादू ये कैसा कर डाला।।
कड़क रहो तो लगे मस्त तू,
मिले न जब तक करे पस्त तू।
लगी गले से जब मतवाली,
तन मन जोशीला कर डाला।।
गरम रहो तो हमें लुभाती,
ठण्डी तू बिलकुल न सुहाती।
चहरे पे दे गर्म भाप को,
पागल तन मन का कर डाला।।
जो तु लिये हो पूरी लाली,
तीखी और मसालेवाली।
चुश्की चुश्की ले चखने पर,
खुशबू से पगला कर डाला।।
चाय पियें जो वे पछतातेे,
जो न पियें वे भी ग़म खाते।
'नमन' चीन की बेटी तूने,
ये देश दिवाना कर डाला।।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
30-06-2016
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