Friday, May 10, 2019

कुण्डलिया "मोबॉयल"

मोबॉयल से मिट गये, बड़ों बड़ों के खेल।
नौकर, सेठ, मुनीमजी, इसके आगे फेल।
इसके आगे फेल, काम झट से निपटाता।
मुख को लखते लोग, मार बाजी ये जाता।
निकट समस्या देख, करो नम्बर को डॉयल।
सौ झंझट इक साथ, दूर करता मोबॉयल।।

मोबॉयल में गुण कई, सदा राखिए संग।
नूतन मॉडल हाथ में, देख लोग हो दंग।
देख लोग हो दंग, पत्नियाँ आहें भरती।
कैसी है ये सौत, कभी आराम न करती।
कहे 'बासु' कविराय, लोग अब इतने कायल।
दिन देखें ना रात, हाथ में है मोबॉयल।।

मोबॉयल बिन आज है, सूना सब संसार।
जग के सब इसपे चले, रिश्ते कारोबार।
रिश्ते कारोबार, व्हाटसप इस पर फलते।
वेब जगत के खेल, फेसबुक यहाँ मचलते।
मधुर सुनाए गीत, दिखाए छमछम पायल।
झट से फोटो लेत, सौ गुणों का मोबॉयल।।

मोबॉयल क्या चीज है, प्रेमी जन का वाद्य।
नारी का जेवर बड़ा, बच्चों का आराध्य।
बच्चों का आराध्य, रखे जो खूबी सारी।
नहीं देखते लोग, दाम कितने हैं भारी।
दो पल भी विलगाय, कलेजा होता घायल।
कहे 'बासु' कविराय, मस्त है ये मोबॉयल।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-06-2016

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