बह्र:- 1222 1222 122
तिजारत हुक्मरानी हो गई है,
कहीं गुम शादमानी हो गई है।
न गांधी शास्त्री से अब हैं रहबर,
शहादत उनकी फ़ानी हो गई है।
कहाँ ढूँढूँ तुझे ओ नेक नियत,
तेरी गायब निशानी हो गई है।
तेरा तो हुश्न ही दुश्मन है नारी,
कठिन इज्जत बचानी हो गई है।
लगी जब बोलने बिटिया हमारी,
वो घर में सबकी नानी हो गई है।
तू आयी जिंदगी में जब से जानम,
तेरी हर शय सुहानी हो गई है।
हमीं से चार लेकर एक दे कर,
'नमन' सरकार दानी हो गई है।
हुक्मरानी=शासन करना
तिजारत=व्यापार
शादमानी=खुशी
रहबर=पथ-प्रदर्शक
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-10-17
तिजारत हुक्मरानी हो गई है,
कहीं गुम शादमानी हो गई है।
न गांधी शास्त्री से अब हैं रहबर,
शहादत उनकी फ़ानी हो गई है।
कहाँ ढूँढूँ तुझे ओ नेक नियत,
तेरी गायब निशानी हो गई है।
तेरा तो हुश्न ही दुश्मन है नारी,
कठिन इज्जत बचानी हो गई है।
लगी जब बोलने बिटिया हमारी,
वो घर में सबकी नानी हो गई है।
तू आयी जिंदगी में जब से जानम,
तेरी हर शय सुहानी हो गई है।
हमीं से चार लेकर एक दे कर,
'नमन' सरकार दानी हो गई है।
हुक्मरानी=शासन करना
तिजारत=व्यापार
शादमानी=खुशी
रहबर=पथ-प्रदर्शक
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
2-10-17
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