जगमग जगमग करता आये,
धूम धड़ाका कर वह जाये,
छा जाती उससे खुशयाली,
क्या सखि साजन? नहीं दिवाली।
चाव चढ़े जब घर में आता,
फट पड़ता तो गगन हिलाता,
उत्सव इस बिन किसने चाखा,
क्या सखि साजन? नहीं पटाखा।
ये बुझता होता अँधियारा,
खिलता ये छाता उजियारा,
इस बिन करता धक-धक जीया
क्या सखि साजन, ना सखि दीया।
गीत सुनाये जी बहलाये,
काम यही सुख दुख में आये,
उसके बिन हो जाऊँ घायल,
क्या सखि साजन? ना मोबायल।
जी करता चिपकूँ बस उससे,
बिन उसके बातें हो किससे,
उसकी हूँ मैं पूरी कायल,
क्या सखि साजन? ना मोबायल।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-10-18
धूम धड़ाका कर वह जाये,
छा जाती उससे खुशयाली,
क्या सखि साजन? नहीं दिवाली।
चाव चढ़े जब घर में आता,
फट पड़ता तो गगन हिलाता,
उत्सव इस बिन किसने चाखा,
क्या सखि साजन? नहीं पटाखा।
ये बुझता होता अँधियारा,
खिलता ये छाता उजियारा,
इस बिन करता धक-धक जीया
क्या सखि साजन, ना सखि दीया।
गीत सुनाये जी बहलाये,
काम यही सुख दुख में आये,
उसके बिन हो जाऊँ घायल,
क्या सखि साजन? ना मोबायल।
जी करता चिपकूँ बस उससे,
बिन उसके बातें हो किससे,
उसकी हूँ मैं पूरी कायल,
क्या सखि साजन? ना मोबायल।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
10-10-18
वाह एक से बढ कर एक कहमुकरियाँ।
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