Wednesday, January 22, 2020

क्षणिका (वृद्धाश्रम)

(1)

वृद्धाश्रम का
एक बूढ़ा पलास
जो पतझड़ में
ठूँठ बना
था बड़ा उदास!
तभी एक
वृद्ध लाठी टेकता
आया उसके पास
जो वर्षों से
रहा कर वहीं निवास,,,
उसे देता दिलासा, कहा
क्या मुझ से भी ज्यादा
तू है निराश??
अरे तेरा तो,,
आने वाला है मधुमास
पर मैं तो जी रहा
रख उस बसंत की आस....
जब इस स्वार्थी जग में
ले लूँगा आखिरी श्वास।
**
(2)

बद्रिकाश्रम में जा
प्रभु की माला जपना,
अमर नाथ
यात्रा का सपना
वृद्धाश्रम में
आ टूटा।


बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
01-03-19

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