Sunday, May 16, 2021

विविध मुक्तक -8

ओ ख़ुदा मेरे तु बता मुझे मेरा तुझसे एक सवाल है,
जो ये ज़िन्दगी तुने मुझको दी उसे जीने में क्यों मलाल है,
इसे अब ख़ुदा तु लेले वापस नहीं बोझ और मैं सह सकूँ,
तेरी ज़िन्दगी को अब_और जीना मेरे लिए तो मुहाल है।

(11212*4)
*********

जहाँ भी आब-ओ-दाना है,
वहीं समझो ठिकाना है,
तु लेकर साथ क्या आया,
यहीं सब कुछ कमाना है।।

(1222*2)
*********

जमाने की जफ़ा ने मार डाला।
खिलाफ़त की सदा ने मार डाला।
रही कुछ भी कसर बाकी अगर तो।
तुम्हारी बददुआने मार डाला।

(1222 1222 122)
***********

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
05-01-18

No comments:

Post a Comment